
काबुल: पाकिस्तान के हवाई हमलों और दवाओं को लेकर किए जा रहे दबाव के बीच भारत और अफगानिस्तान के संबंध और अधिक मजबूत होते दिखाई दे रहे हैं। भारत ने अफगानिस्तान को जीवनरक्षक अत्याधुनिक एंबुलेंस की पहली खेप सौंपकर न सिर्फ मानवीय जिम्मेदारी निभाई है, बल्कि एक भरोसेमंद मित्र के रूप में अपनी भूमिका भी स्पष्ट की है।
यह एंबुलेंस भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर द्वारा तालिबानी विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की हालिया भारत यात्रा के दौरान किए गए वादे का हिस्सा हैं। उस दौरान भारत ने कुल 20 एंबुलेंस, साथ ही एमआरआई और सीटी स्कैन मशीनें, बच्चों की वैक्सीन और कैंसर की दवाएं देने की घोषणा की थी।
स्वास्थ्य सहयोग का नया अध्याय
रिपोर्ट के अनुसार, एंबुलेंस की यह खेप भारत–अफगानिस्तान हेल्थकेयर कोऑपरेशन का अहम हिस्सा है। भारत काबुल स्थित इंदिरा गांधी चिल्ड्रन हॉस्पिटल में हीटिंग सिस्टम को अपग्रेड करेगा और आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराएगा। इसके अलावा,
काबुल के बगरामी जिले में 30 बेड का अस्पताल,
पाकटीका, खोस्त और पक्तिया प्रांतों में महिलाओं के लिए क्लिनिक,
दिव्यांगों के लिए कृत्रिम अंगों का दान
जैसी परियोजनाओं पर भी काम किया जा रहा है।
तालिबान सरकार की खुलकर तारीफ
भारत की इस मानवीय पहल की तालिबानी सरकार और सोशल मीडिया पर खुलकर सराहना हो रही है। अफगान स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दशकों से अफगान नागरिक इलाज के लिए भारत आते रहे हैं और मेडिकल वीजा अफगान जनता के लिए एक महत्वपूर्ण मानवीय रास्ता रहा है। उन्होंने भारत को भरोसेमंद साझेदार बताते हुए आधुनिक अस्पतालों के निर्माण में सहयोग की भी सराहना की।
पाकिस्तान का दवा-ब्लैकमेल कमजोर
अब तक अफगानिस्तान अपनी लगभग 60 प्रतिशत दवाएं पाकिस्तान से आयात करता था, लेकिन दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बाद यह व्यापार ठप हो गया। पाकिस्तान पर आरोप है कि वह दवाओं की आपूर्ति को हथियार बनाकर तालिबान सरकार पर दबाव डाल रहा था।
नवंबर 2025 में पाकिस्तानी हवाई हमलों के बाद अफगान सरकार ने पाकिस्तान से दवाओं के आयात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया। तालिबानी सरकार ने पाकिस्तानी दवाओं की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए हैं और व्यापारियों को तीन महीने के भीतर आयात बंद करने का निर्देश दिया है।
भारत बना भरोसे का विकल्प
भारत की सक्रिय भूमिका से अफगानिस्तान की पाकिस्तान पर निर्भरता तेजी से कम हो रही है। अब अफगानिस्तान दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के लिए भारत और मध्य एशियाई देशों के साथ नए समझौते कर रहा है।
मानवीय सहायता के जरिए भारत ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि वह संकट के समय सिर्फ रणनीतिक नहीं, बल्कि मानवीय साझेदार भी है।