Monday, December 1

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विदेश फंडिंग और जमीन खरीदी से 12 साल में कैसे फरीदाबाद में पनपी अल-फलाह यूनिवर्सिटी
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विदेश फंडिंग और जमीन खरीदी से 12 साल में कैसे फरीदाबाद में पनपी अल-फलाह यूनिवर्सिटी

फरीदाबाद/नई दिल्ली: दिल्ली लाल किला धमाके के बाद फरीदाबाद के धौज में स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी सुर्खियों में आ गई है। यह यूनिवर्सिटी दिल्ली के ओखला में रजिस्टर्ड अल-फलाद चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा चलाई जाती है। मेडिकल का पहला बैच यहां 2019 में शुरू हुआ था। 12 साल का विस्तार और भूमि अधिग्रहण यूनिवर्सिटी की शुरुआत 1997 में इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी। 2014 में यूजीसी से मान्यता मिलने के बाद इसे यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला। पिछले कुछ सालों में स्थानीय ग्रामीणों से जमीन खरीदकर कैंपस का विस्तार 30 एकड़ से बढ़ाकर 70 एकड़ से अधिक कर लिया गया। जनवरी 2025 में हरियाणा के पूर्व राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कैंपस में नए अस्पताल भवन का उद्घाटन किया। विदेशी फंडिंग और शुल्क संरचना यूनिवर्सिटी को अरब देशों से डोनेशन और फंडिंग मिलती है। विदेशी फंडरेजर साल में एक बार कैंपस आते हैं...
क्या हरियाणा में कांग्रेस वाकई “वोट चोरी” से हारी थी? मैदान में जो दिखा, उसने सच्चाई उजागर कर दी
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क्या हरियाणा में कांग्रेस वाकई “वोट चोरी” से हारी थी? मैदान में जो दिखा, उसने सच्चाई उजागर कर दी

हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणामों को एक साल बीत चुका है, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में अपनी तथाकथित “H-फाइल्स” जारी कर एक नया विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में हर आठवां मतदाता फर्जी है और बड़े पैमाने पर “वोट चोरी” हुई है। लेकिन उन्होंने इन दावों के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया। राहुल गांधी यह सवाल उठाते हैं कि जब कांग्रेस को अपनी जीत का पूरा भरोसा था, तो भाजपा को बहुमत कैसे मिल गया। मगर भाजपा या चुनाव आयोग पर उंगली उठाने से पहले उन्हें यह बताना होगा कि कांग्रेस को हरियाणा विधानसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त करने में पूरा एक साल क्यों लग गया? और आखिर पार्टी अब भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा परिवार से आगे नई नेतृत्व पंक्ति क्यों नहीं बना पाई? असल समस्या शायद मतदाता सूची में नहीं, बल्कि कांग्रेस के अंदर ही छिपी है। कांग्रेस का अंदरूनी पतन हमारी जमीन...