Monday, December 29

भारत ने ‘प्राणदान’ देकर निभाई अफगानिस्तान से दोस्ती एंबुलेंस और चिकित्सा सहायता से मजबूत हुए संबंध, पाकिस्तानी ब्लैकमेल कमजोर

 

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काबुल: पाकिस्तान के हवाई हमलों और दवाओं की आपूर्ति को लेकर किए जा रहे दबाव के बीच भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते और अधिक प्रगाढ़ होते नजर आ रहे हैं। भारत ने तालिबान सरकार से किया गया वादा निभाते हुए अफगानिस्तान को अत्याधुनिक जीवनरक्षक एंबुलेंस की पहली खेप सौंप दी है। इस मानवीय पहल को अफगानिस्तान में ‘प्राणदान’ के रूप में देखा जा रहा है।

 

यह सहायता उस घोषणा का हिस्सा है, जो तालिबानी विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की हालिया भारत यात्रा के दौरान भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने की थी। उस समय जयशंकर ने कहा था कि भारत अफगानिस्तान को 20 एंबुलेंस सद्भावना उपहार के तौर पर देगा। इसके साथ ही भारत ने अफगान अस्पतालों के लिए एमआरआई और सीटी स्कैन मशीनें, बच्चों की वैक्सीन और कैंसर की दवाएं उपलब्ध कराने का भी भरोसा दिलाया था।

 

स्वास्थ्य सहयोग का विस्तार

 

रिपोर्ट के अनुसार, एंबुलेंस की यह खेप भारत‑अफगानिस्तान हेल्थकेयर सहयोग का अहम हिस्सा है। भारत काबुल स्थित इंदिरा गांधी बाल अस्पताल में हीटिंग सिस्टम को अपग्रेड करेगा और आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं स्थापित करेगा। इसके अलावा,

 

  • काबुल के बगरामी जिले में 30 बेड का अस्पताल,

  • पाकटीका, खोस्त और पक्तिया प्रांतों में महिलाओं के लिए क्लिनिक,

  • दिव्यांग अफगान नागरिकों के लिए कृत्रिम अंगों का दान

जैसी परियोजनाओं पर भी भारत काम कर रहा है।

 

पिछले महीने अफगानिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री भारत दौरे पर आए थे, जहां दोनों देशों के बीच दवाओं की दीर्घकालिक आपूर्ति, क्षमता निर्माण और स्वास्थ्य अवसंरचना पर विस्तृत चर्चा हुई थी।

 

तालिबान सरकार ने की भारत की सराहना

 

भारत की इस मानवीय मदद की तालिबानी सरकार और सोशल मीडिया पर खुलकर प्रशंसा की जा रही है। अफगान स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि दशकों से अफगान नागरिक इलाज के लिए भारत आते रहे हैं और मेडिकल वीजा अफगान जनता के लिए एक महत्वपूर्ण मानवीय चैनल रहा है। उन्होंने भरोसा जताया कि भारत के सहयोग से अफगानिस्तान में आधुनिक अस्पतालों का सपना साकार होगा।

 

पाकिस्तान का दवा‑ब्लैकमेल होगा खत्म

 

अब तक अफगानिस्तान अपनी करीब 60 प्रतिशत दवाएं पाकिस्तान से आयात करता था, लेकिन दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बाद यह व्यापार लगभग ठप हो गया है। अफगान सरकार का आरोप है कि पाकिस्तान दवाओं की आपूर्ति को हथियार बनाकर तालिबान सरकार को ब्लैकमेल करने की कोशिश करता रहा है।

 

पाकिस्तानी हवाई हमलों के बाद नवंबर 2025 में अफगानिस्तान ने पाकिस्तान से दवाओं के आयात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया। तालिबानी सरकार ने पाकिस्तानी दवाओं की गुणवत्ता पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं और व्यापारियों को तीन महीने के भीतर आयात बंद करने का निर्देश दिया है।

 

भारत बना भरोसेमंद विकल्प

 

भारत की सक्रिय भूमिका से अफगानिस्तान की पाकिस्तान पर निर्भरता तेजी से कम हो रही है। अब अफगानिस्तान दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के लिए भारत और मध्य एशियाई देशों के साथ नए समझौते कर रहा है।

 

मानवीय सहायता के जरिए भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह संकट की घड़ी में अफगान जनता के साथ खड़ा है—न केवल एक रणनीतिक साझेदार के रूप में, बल्कि एक सच्चे मित्र के तौर पर भी।

 

 

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