Saturday, December 27

थाईलैंड–कंबोडिया सीमा पर तत्काल युद्धविराम, हफ्तों की खूनी झड़पों के बाद बनी सहमति

 

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थाईलैंड और कंबोडिया ने कई हफ्तों से जारी खूनी सीमा संघर्ष के बाद आखिरकार तत्काल युद्धविराम पर सहमति जता दी है। दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की ओर से जारी संयुक्त बयान के अनुसार, यह युद्धविराम स्थानीय समयानुसार दोपहर 12 बजे से प्रभावी हो गया है। इसके तहत सीमा क्षेत्रों में सभी सैन्य गतिविधियों और सैनिकों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है।

 

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संघर्ष में अब तक कम से कम 41 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि करीब 10 लाख लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं। युद्धविराम समझौते में यह भी प्रावधान किया गया है कि सीमावर्ती इलाकों से विस्थापित लोगों की सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित की जाएगी।

 

संयुक्त बयान में कहा गया है कि यदि यह युद्धविराम 72 घंटे तक कायम रहता है, तो थाईलैंड अपनी हिरासत में मौजूद 18 कंबोडियाई सैनिकों को रिहा करेगा। सैनिकों की रिहाई अक्टूबर में हुए ‘कुआलालंपुर डिक्लेरेशन’ के तहत की जाएगी। उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम की पहल हुई थी।

 

रिपोर्ट के अनुसार, हाल के दिनों में दोनों देशों के अधिकारियों के बीच लगातार बातचीत चल रही थी। इस दौरान तनाव बढ़ाने वाले बयान कम किए गए, नागरिकों और सैन्य ठिकानों पर हमलों में भी कमी आई, जिसके बाद अब युद्धविराम की घोषणा संभव हो सकी।

 

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब दोनों देश संघर्ष विराम पर सहमत हुए हों। इससे पहले भी ‘कुआलालंपुर डिक्लेरेशन’ के तहत विवादित सीमा से भारी हथियार हटाने और निगरानी के लिए अंतरिम पर्यवेक्षक दल तैनात करने की योजना बनी थी, लेकिन इस महीने की शुरुआत में फिर से लड़ाई भड़कने से वह समझौता टूट गया था।

 

इस बीच, दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर युद्धविराम उल्लंघन के आरोप भी लगाए हैं। थाई सेना का कहना है कि उबोन राचथानी प्रांत में कंबोडियाई गोलीबारी के जवाब में कार्रवाई की गई, जिसमें एक थाई सैनिक मारा गया। वहीं, कंबोडिया के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि प्रीह विहार प्रांत में थाई सेना ने पहले हमला किया और कंबोडिया ने कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की।

 

गौरतलब है कि दिसंबर में भी दोनों देशों के बीच तनाव बना रहा। शुक्रवार को थाईलैंड ने विवादित सीमा क्षेत्र में हवाई हमले किए थे। इससे पहले जुलाई में पांच दिनों तक चली भीषण लड़ाई में दर्जनों सैनिक और नागरिक मारे गए थे।

 

फिलहाल, युद्धविराम से क्षेत्र में शांति बहाली की उम्मीद जगी है, लेकिन इसकी स्थायित्व पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।

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