Saturday, December 27

सोमालीलैंड को मान्यता देने पर इजरायल घिरा, मुस्लिम देशों में आक्रोश, अफ्रीकी यूनियन की कड़ी चेतावनी

 

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सोमालिया से अलग हुए क्षेत्र सोमालीलैंड को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने के इजरायल के फैसले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रिया पैदा कर दी है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की इस घोषणा के बाद मुस्लिम देशों में नाराजगी साफ दिख रही है, वहीं अफ्रीकी यूनियन (AU) और सोमालिया ने इसे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बताया है।

 

सोमालिया सरकार ने इजरायल के इस कदम को अपनी संप्रभुता पर सीधा हमला करार दिया है। सोमालिया के विदेश मंत्रालय ने कड़े शब्दों में कहा कि यह फैसला जानबूझकर उठाया गया है और इससे हॉर्न ऑफ अफ्रीका क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ सकती है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि सोमालीलैंड आज भी सोमालिया गणराज्य का अभिन्न हिस्सा है।

 

मुस्लिम देशों की तीखी प्रतिक्रिया

 

सोमालिया के करीबी सहयोगी तुर्की ने भी इजरायल की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि यह कदम इजरायल की विस्तारवादी नीति का हिस्सा है और सोमालिया के आंतरिक मामलों में खुला हस्तक्षेप है।

 

मिस्र ने भी इस फैसले पर सख्त रुख अपनाया है। मिस्र के विदेश मंत्रालय के अनुसार, उसके शीर्ष राजनयिक ने तुर्की, सोमालिया और जिबूती के विदेश मंत्रियों से बातचीत कर संयुक्त रूप से इस फैसले की निंदा की और सोमालिया की एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के समर्थन का भरोसा दिया।

 

अफ्रीकी यूनियन की चेतावनी

 

अफ्रीकी देशों के संगठन अफ्रीकी यूनियन ने इजरायल की कार्रवाई को दृढ़ता से खारिज करते हुए चेतावनी दी है कि इससे पूरे महाद्वीप में शांति और स्थिरता पर दूरगामी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं।

AU आयोग के अध्यक्ष महमूद अली यूसुफ ने स्पष्ट कहा कि सोमालीलैंड अब भी अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत सोमालिया का हिस्सा है और किसी एकतरफा मान्यता को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

 

गौरतलब है कि इजरायल के करीबी सहयोगी अमेरिका ने भी फिलहाल सोमालीलैंड को मान्यता देने से इनकार किया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका का ऐसा कोई इरादा नहीं है।

 

सोमालीलैंड पर विवाद की जड़

 

सोमालीलैंड ने वर्ष 1991 में तत्कालीन तानाशाह सियाद बर्रे के पतन के बाद सोमालिया से अलग होने की घोषणा की थी। करीब 60 लाख आबादी वाले इस क्षेत्र ने खुद को एक स्वतंत्र गणराज्य घोषित कर रखा है, लेकिन तीन दशकों बाद भी उसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिल सकी थी। इजरायल ऐसा करने वाला पहला देश बन गया है।

 

विश्लेषकों का मानना है कि अदन की खाड़ी पर स्थित होने के कारण सोमालीलैंड की रणनीतिक अहमियत बहुत अधिक है। इजरायल के इस कदम के पीछे क्षेत्र में अपनी सैन्य और रणनीतिक पकड़ मजबूत करने की मंशा बताई जा रही है, खासकर यमन, ईरान और तुर्की जैसे विरोधियों के प्रभाव को संतुलित करने के लिए।

 

फिलहाल, इजरायल के इस फैसले ने अफ्रीका और मुस्लिम दुनिया में नई कूटनीतिक हलचल पैदा कर दी है और आने वाले दिनों में इसके अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और गहराने के संकेत मिल रहे हैं।

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