Saturday, December 27

2025 में कुदरत का कहर: दुनिया को 10.8 लाख करोड़ रुपये का नुकसानक्रिश्चियन एड की रिपोर्ट—जलवायु आपदाओं ने अमेरिका से भारत तक मचाई तबाही

 

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वॉशिंगटन।

साल 2025 दुनिया के लिए प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज़ से बेहद विनाशकारी साबित हुआ। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और राहत संगठन क्रिश्चियन एड की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, इस वर्ष लू, जंगलों की आग, सूखा, बाढ़ और भीषण तूफानों जैसी आपदाओं से वैश्विक स्तर पर करीब 10.8 लाख करोड़ रुपये (120 अरब डॉलर) का आर्थिक नुकसान हुआ है।

 

रिपोर्ट में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण आई आपदाओं ने हर महाद्वीप को प्रभावित किया और दुनिया का कोई भी हिस्सा इससे अछूता नहीं रहा। क्रिश्चियन एड ने 2025 की दस सबसे महंगी प्राकृतिक आपदाओं की सूची जारी की है, जिनमें प्रत्येक आपदा से अरबों डॉलर का नुकसान हुआ।

 

 

 

कैलिफोर्निया की जंगलों की आग सबसे महंगी आपदा

 

रिपोर्ट के अनुसार, 2025 की सबसे महंगी प्राकृतिक आपदा अमेरिका के कैलिफोर्निया में लगी भीषण जंगलों की आग रही, जिससे करीब 5.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।

इसके अलावा—

 

स्कॉटलैंड और ब्रिटेन में रिकॉर्डतोड़ गर्मी और जंगलों की आग

कनाडा में भीषण सूखा

फिलीपींस में विनाशकारी टाइफून

स्पेन और पुर्तगाल समेत आइबेरियाई प्रायद्वीप में आग की घटनाएं

 

दुनिया की सबसे महंगी जलवायु आपदाओं में शामिल रहीं।

 

 

असली नुकसान इससे कहीं ज्यादा

 

क्रिश्चियन एड ने स्पष्ट किया है कि यह आकलन इंश्योरड लॉस (बीमा के आधार पर नुकसान) पर आधारित है। इसका मतलब है कि वास्तविक नुकसान इससे कहीं अधिक हो सकता है, क्योंकि बड़ी संख्या में संपत्तियां और आजीविकाएं बीमा के दायरे में नहीं आतीं।

इसके अलावा, जिन लोगों ने इन आपदाओं में अपनी जान गंवाई, उनका आर्थिक मूल्यांकन संभव ही नहीं है।

 

 

 

एशिया सबसे ज्यादा प्रभावित

 

रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 की दस सबसे बड़ी जलवायु आपदाओं में से छह एशिया में हुईं।

ब्राजील का सूखा, ऑस्ट्रेलिया में फरवरी में आया शक्तिशाली चक्रवात और यूरोप में आग की घटनाएं भी प्रमुख आपदाओं में शामिल रहीं।

 

 

 

भारत-पाकिस्तान में बाढ़ से भारी तबाही

 

रिपोर्ट में भारत और पाकिस्तान का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है।

इस साल दोनों देशों में आई बाढ़ से करीब 50,360 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ और 1,860 लोगों की जान गई।

इसके अलावा श्रीलंका और चीन में भी प्राकृतिक आपदाओं के कारण भारी जन-धन हानि हुई।

 

 

 

गरीब देशों में नुकसान का आंकड़ा भी नहीं

 

क्रिश्चियन एड ने चेतावनी दी है कि कई गरीब देशों में आई आपदाओं का आर्थिक आंकलन ही संभव नहीं हो सका, क्योंकि वहां बीमा व्यवस्था नहीं है।

नाइजीरिया और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में आई भीषण बाढ़ का उदाहरण देते हुए कहा गया कि इन आपदाओं से लाखों लोग प्रभावित हुए, लेकिन नुकसान का कोई आधिकारिक डेटा उपलब्ध नहीं है।

 

 

 

रिपोर्ट की चेतावनी

 

क्रिश्चियन एड ने सरकारों से आग्रह किया है कि

 

ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तेजी से कटौती की जाए

कमजोर और संवेदनशील समुदायों को सुरक्षा दी जाए

भविष्य की जलवायु आपदाओं से निपटने के लिए ठोस और प्रभावी योजनाएं बनाई जाएं

 

रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि यदि जलवायु परिवर्तन पर तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में प्राकृतिक आपदाओं की कीमत और भी भारी पड़ सकती है।

 

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