Saturday, December 20

बच्चे मां की बात क्यों नहीं सुनते? पेरेंटिंग कोच ने बताई एक वजह जो आप सोच भी नहीं सकते

नंदिनी दुबे | नवभारत टाइम्स

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अक्सर देखा जाता है कि बच्चे मां की बात नहीं सुनते या हर बात पर उल्टा जवाब देने लगते हैं। कई बार यह स्थिति इतनी बढ़ जाती है कि बच्चे मां के साथ बदतमीजी करने लगते हैं। इस पर मां भीतर ही भीतर दुखी हो जाती हैं और सोचने लगती हैं कि आखिर उनका बच्चा ऐसा क्यों कर रहा है।

सर्टिफाइड पेरेंटिंग कोच रेनू गिरधर का कहना है कि इसके पीछे एक अहम वजह है, जिसे शायद आपने पहले कभी नहीं सोचा होगा।

नियम और जिम्मेदारी की वजह

रेनू के मुताबिक, जब पिता काम या मोबाइल में व्यस्त रहते हैं, तो घर का रूटीन, डिसिप्लिन और जिम्मेदारियां ज्यादातर मां के कंधों पर आ जाती हैं। ऐसे में मां को बार-बार बच्चों को नियम समझाने पड़ते हैं और ‘ना’ कहना पड़ता है। इसका असर यह होता है कि बच्चे मां को सिर्फ रोकने-टोकने वाली समझने लगते हैं।

बच्चा करता है पुशबैक

जब मां बार-बार ‘ना’ कहती हैं, तो बच्चे धीरे-धीरे उसी पर विरोध करने लगते हैं। वे गुस्सा करते हैं, चिल्लाते हैं और अपनी नाराजगी जाहिर करते हैं। उन्हें यह महसूस होने लगता है कि मां की बात को टाला जा सकता है।

पिता का व्यवहार भी अहम

एक्सपर्ट का कहना है कि अगर पिता घर में सबके सामने मां की बात को नजरअंदाज करते हैं या उनका सम्मान नहीं करते, तो बच्चे भी वही व्यवहार सीख लेते हैं। बच्चे लेक्चर से नहीं बल्कि माता-पिता के उदाहरण से सीखते हैं।

पिता का समर्थन जरूरी

सबसे बड़ी गलती तब होती है जब मां किसी बात के लिए ‘ना’ कहती हैं और पिता वही बात ‘हां’ कर देते हैं। इससे मां की अथॉरिटी खत्म हो जाती है। रेनू के अनुसार, बच्चे मां की इज्जत तभी सीखते हैं जब पिता उनकी बात का सम्मान करें और उन्हें सपोर्ट करें।

पेरेंटिंग की कुंजी: टीम वर्क

रेनू का मानना है कि रेस्पेक्टफुल बच्चों की परवरिश माता-पिता की एकता से होती है। यदि माता-पिता टीम की तरह काम करें और एक-दूसरे का सम्मान करें, तो बच्चे भी मां की बात को अंतिम और महत्वपूर्ण मानते हैं।

निष्कर्ष:
मां की बात सुनी जाए, बच्चों में सम्मान पैदा हो, इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता एकजुट होकर अपने बच्चों के सामने एक मजबूत और सटीक उदाहरण पेश करें।

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