Thursday, November 6

टूटी सड़कें, कचरा जलाना, औद्योगिक धुआं… भारत के सबसे प्रदूषित इलाके धारूहेड़ा में आखिर सब कुछ कैसे बिगड़ गया?

रेवाड़ी (हरियाणा): दिल्ली से महज़ 60 किलोमीटर दूर, रेवाड़ी जिले का धारूहेड़ा शहर इस अक्टूबर में भारत का सबसे प्रदूषित स्थान बन गया। 11 वर्ग किलोमीटर में फैले इस औद्योगिक कस्बे में हालात इतने खराब हैं कि हवा में घुली धूल और धुएं ने यहां के लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल बना दिया है।

ट्रक रेंगते हैं, डीजल गाड़ियां धुआं उगलती हैं और उखड़ते तारकोल पर भारी टायरों के घूमने से उठने वाली धूल अब यहां की पहचान बन चुकी है। सड़क किनारे कूड़े के ढेर और खुले में जलता कचरा हवा को और जहरीला बना रहा है।

🏭 औद्योगिक इलाका, जहरीली हवा

धारूहेड़ा की समस्या किसी एक वजह से नहीं है। यहां भारी ट्रैफिक, भिवाड़ी के औद्योगिक क्षेत्र की फैक्ट्रियां, निर्माण कार्य, डीजल जनरेटर और कूड़ा जलाने की प्रथा — सब मिलकर हवा को लगातार दूषित कर रहे हैं।
सेक्टर-6 के दुकानदार राम सैनी कहते हैं,

“हम यहीं रहते हैं, इसी हवा में सांस लेते हैं। पिछले कुछ सालों में प्रदूषण इतना बढ़ा है कि आंखों में जलन और गले में खराश आम बात हो गई है।”

🚛 सड़कें जाम, ट्रकों का धुआं और डीजल ऑटो

हाईवे धारूहेड़ा को दो हिस्सों में बांटता है — एक तरफ फैक्ट्रियां, दूसरी ओर घर और दुकानें।
सेक्टर-5 निवासी अमित कुमार बताते हैं,

“पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है, ज्यादातर वाहन सड़कों के किनारे खड़े रहते हैं। ट्रक और बसें धीरे-धीरे गुजरते हैं, जिससे लगातार धुआं और धूल उठती रहती है।”

यहां के ऑटो और तिपहिया वाहन अब भी डीजल और डीजल-मिश्रित केरोसिन पर चलते हैं, जो दिल्ली-एनसीआर में प्रतिबंधित हैं। ललित सिंह कहते हैं,

“इन वाहनों से निकलने वाला धुआं सीधे लोगों के फेफड़ों में जा रहा है, लेकिन कोई जांच या कार्रवाई नहीं होती।”

🌫️ ‘हमें पता है हवा खराब है… हम इसे सांस में महसूस करते हैं’

हाईवे किनारे राशन की दुकान चलाने वाले अजय सिंह कहते हैं,

“हमें यह बताने के लिए आंकड़ों की जरूरत नहीं कि हवा खराब है। सुबह-शाम धुआं साफ दिखाई देता है। हर दिन हम इसे सांस के जरिए महसूस करते हैं।”

धारूहेड़ा में अधिकांश फैक्ट्रियां हार्डवेयर और केमिकल्स से जुड़ी हैं। बिजली कटौती के चलते डीजल जनरेटरों का इस्तेमाल लगातार होता है। ठंड में हवा की रफ्तार घटने और तापमान गिरने से प्रदूषक ज़मीन के पास फंस जाते हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ जाती है।

📊 भारत के 10 में 10 सबसे प्रदूषित शहर एनसीआर में

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की रिपोर्ट बताती है कि अक्टूबर में भारत के 10 सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली-एनसीआर में थे, जिनमें धारूहेड़ा सबसे ऊपर और रोहतक दूसरे स्थान पर रहा।
CREA के विश्लेषक मनोज कुमार का कहना है,

“नीतिगत बातचीत हमेशा दिल्ली पर केंद्रित रहती है, जबकि औद्योगिक गलियारों के किनारे बसे कस्बे जैसे धारूहेड़ा दम तोड़ रहे हैं। जब तक सरकार स्वच्छ परिवहन और उत्सर्जन मानकों को सख्ती से लागू नहीं करेगी, ऐसे कस्बे अपनी सेहत और आजीविका दोनों से हाथ धो बैठेंगे।”

⚠️ प्रशासन का तर्क और जमीनी सच्चाई

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी निपुण गुप्ता का कहना है,

“हम कचरा जलाने पर चालान जारी कर रहे हैं और डीजल गाड़ियों पर कार्रवाई करेंगे। भिवाड़ी की औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाली धूल भी प्रदूषण बढ़ा रही है। हमारा मॉनिटरिंग स्टेशन जल्द बदला जाएगा।”

हालांकि, स्थानीय लोग इसे “सिर्फ कागजी कार्रवाई” बताते हैं। 6,500 से अधिक औद्योगिक इकाइयों वाले भिवाड़ी क्षेत्र के पास स्थित धारूहेड़ा में प्रदूषण नियंत्रण उपाय न के बराबर हैं।

💨 निष्कर्ष: ‘धारूहेड़ा को बस भुला दिया गया है’

एनसीआर में दिल्ली को स्वच्छ बनाने की तमाम योजनाओं के बीच, धारूहेड़ा जैसे कस्बे नीति निर्माताओं के रडार से गायब हैं।
प्रदूषण न सिर्फ पर्यावरण का संकट है, बल्कि यहां के हर नागरिक के स्वास्थ्य और जीवन का सवाल बन गया है।
अगर अब भी ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में धारूहेड़ा जैसे औद्योगिक कस्बे सिर्फ नक्शे पर रह जाएंगे, जीवन उनमें नहीं।

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