
भारत का आंतरिक सुरक्षा मोर्चा अब उस मुकाम पर पहुंचता दिख रहा है, जिसका इंतजार दशकों से था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रायपुर में आयोजित 60वें डीजीपी-आईजीपी वार्षिक सम्मेलन में घोषणा की कि देश वामपंथी उग्रवाद, पूर्वोत्तर उग्रवाद और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद—इन तीनों पुरानी चुनौतियों को खत्म करने के बेहद करीब है। शाह ने विश्वास जताया कि अगले सम्मेलन से पहले भारत पूरी तरह नक्सलवाद मुक्त हो जाएगा।
126 से घटकर 11 जिले — नक्सलवाद की कमर टूटी
गृह मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सुरक्षा तंत्र की मजबूती और जमीनी स्तर पर किए गए कड़े प्रयासों के चलते नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई है।
- 2014 में नक्सल प्रभावित जिले: 126
- 2025 में घटकर सिर्फ: 11 जिले
पिछले सात वर्षों में 586 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशनों के निर्माण ने नक्सलियों की पकड़ कमजोर कर दी है और सुरक्षा बलों को निर्णायक बढ़त दिलाई है।
तीन पुराने हॉटस्पॉट अब सामान्य होने की कगार पर
अमित शाह ने कहा कि नक्सलवाद, पूर्वोत्तर उग्रवाद और जम्मू-कश्मीर आतंकवाद–इन तीनों ने देश को 40 साल तक परेशान किया। लेकिन मोदी सरकार की “सख्त, निर्णायक और टिकाऊ” नीति ने इन समस्याओं का स्थायी समाधान सुनिश्चित किया है।
उन्होंने दावा किया कि बहुत जल्द ये क्षेत्र देश के बाकी हिस्सों की तरह पूरी तरह सामान्य जीवन की ओर लौट आएंगे।
रायपुर में जुटे देश के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी
सम्मेलन में शामिल होने के लिए अमित शाह एक दिन पहले रायपुर पहुंचे। एयरपोर्ट पर राज्यपाल रामेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका स्वागत किया।
समारोह में देशभर के DGP, IGP, खुफिया एजेंसियों और केंद्रीय सुरक्षा बलों के शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे।
शाह ने स्पष्ट किया कि यह वार्षिक मंच अब देश की आंतरिक सुरक्षा रणनीति को आकार देने में सबसे प्रभावी राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म बन चुका है।