
चेन्नई, 21 नवंबर। तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री और डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन के संस्कृत भाषा को ‘मृत भाषा’ बताने वाले विवादित बयान ने राज्य में राजनीतिक हलचल मचा दी है। उनके इस बयान पर बीजेपी ने तीखा पलटवार किया है और डीएमके नेता की आलोचना की है।
उदयनिधि का बयान
उदयनिधि स्टालिन ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि केंद्र सरकार तमिल को साइडलाइन करके संस्कृत को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिल सीखने के लिए उत्सुक हैं, तो बच्चों को हिंदी और संस्कृत क्यों पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि पिछले दस वर्षों में केंद्र सरकार ने संस्कृत के लिए 2400 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि तमिल के लिए केवल 150 करोड़ रुपये।
उन्होंने कहा कि तमिल को नजरअंदाज करने वाली नीतियों से राज्य की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को नुकसान पहुंच रहा है। उदयनिधि का यह बयान तमिल भाषा और संस्कृति की प्राथमिकता को लेकर सियासी बहस का कारण बन गया है।
बीजेपी का पलटवार
उदयनिधि के बयान पर तमिलनाडु बीजेपी ने कड़ा विरोध जताया। पार्टी की नेता तमिलिसाई सुंदरराजन ने कहा कि उदयनिधि तमिल संस्कृति और धार्मिक भावनाओं का अनादर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तमिल संस्कृति किसी अन्य भाषा को नीचा दिखाने की इजाज़त नहीं देती।
तमिलिसाई ने आगे कहा कि उदयनिधि ने पहले भी सनातन धर्म को लेकर विवादित बयान दिए थे और अब वे एक ऐसी भाषा पर टिप्पणी कर रहे हैं, जो तमिल लोगों की प्रार्थनाओं और धार्मिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने उदयनिधि से अपने बयान वापस लेने की अपील की।
राजनीतिक परिदृश्य
उदयनिधि स्टालिन के बयान ने तमिलनाडु में सियासी हलचल तेज कर दी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बयान बीजेपी और डीएमके के बीच राजनीतिक टकराव को और बढ़ावा देगा। इस बयान के बाद राज्य में भाषा और सांस्कृतिक पहचान पर आधारित बहस तेज होने की संभावना है।
यह मामला तमिलनाडु की आगामी चुनावी राजनीति और केंद्र-राज्य संबंधों पर भी असर डाल सकता है, जहां भाषाई और सांस्कृतिक मुद्दे सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों के लिए चुनावी हथियार बन सकते हैं।