Friday, November 21

महाराष्ट्र जिला परिषद चुनाव में गठबंधन का घालमेल: बीएमसी चुनाव का ट्रेलर तैयार

मुंबई, 21 नवंबर। महाराष्ट्र के नगर पंचायत चुनाव में हुए चमत्कारिक गठबंधन ने स्थानीय राजनीति को और जटिल बना दिया है। एमवीए और महायुति गठबंधन में शामिल पार्टियों के बीच दोस्ती और दुश्मनी की लकीर धुंधली हो गई है। चांदगढ़ में अजित पवार और शरद पवार ने हाथ मिलाया, पुणे के चाकण में उद्धव सेना और शिंदे सेना ने मोर्चाबंदी की, जबकि पालघर में एनसीपी के दोनों गुट शिंदे सेना के साथ मिलकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि इन जटिल गठबंधनों की तस्वीर बीएमसी चुनाव की तैयारी का संकेत देती है। वर्तमान हालात के हिसाब से सभी पार्टियों को आगामी नगर निगम चुनाव में अकेले उतरना पड़ सकता है।

बीएमसी चुनाव में बदलेंगे समीकरण

  • महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव 2 दिसंबर को होंगे।
  • बीएमसी पर बीजेपी की नजर टिकी है। यदि बीएमसी हाथ से गया तो उद्धव सेना के लिए अस्तित्व संकट बन सकता है।
  • पंचायत चुनाव के घालमेल से साफ है कि बीजेपी भी अकेले जोर आजमाएगी।
  • एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने संकेत दिए हैं कि वे नगर निगम चुनाव में नए सहयोगी तलाश रहे हैं।

पंचायत चुनाव में दोस्त-दुश्मन की स्थिति

  • बीजेपी, अजित पवार की एनसीपी और शरद पवार की एनसीपी को स्थानीय स्तर पर गठबंधन करने की छूट।
  • शिवसेना ने खुली छूट का ऐलान नहीं किया, लेकिन अंदरखाने फ्री हैंड दिया।
  • चांदगढ़ में शरद पवार की एनसीपी और अजित पवार गुट दोस्त बने।
  • पुणे के चाकण में शिवसेना के दोनों धड़े साथ आए।
  • पालघर में शरद पवार, अजित पवार और शिंदे गुट ने बीजेपी के खिलाफ गठबंधन किया।

बीजेपी का गेम: अकेले लड़ेंगे

बीजेपी ने बीएमसी चुनाव के लिए अपने पत्ते अभी नहीं खोले। सूत्रों के अनुसार:

  • मुंबई में अकेले चुनाव।
  • अन्य निगमों में शिंदे सेना से गठबंधन।
  • पुणे महानगर पालिका में अजित पवार की एनसीपी को 40 सीट देने से इंकार।
  • हाल ही में शिवसेना पार्षदों को बीजेपी में शामिल करने के विरोध में शिंदे के मंत्रियों ने कैबिनेट मीटिंग का बहिष्कार किया।

एमवीए को बड़ा झटका

  • शिवसेना (यूबीटी), भाई राज ठाकरे के साथ मिलकर “मराठी माणूस” का नारा बुलंद कर रही है।
  • कांग्रेस गठबंधन से छिटक चुकी है।
  • शरद पवार की एनसीपी ने भी अकेले लड़ने के संकेत दिए।

विश्लेषकों का मानना है कि यदि हालात ऐसे ही रहे तो आगामी निकाय चुनाव में मुकाबला बीजेपी बनाम सभी दल के रूप में होगा, जिसमें सभी पार्टियां अलग-अलग मैदान में होंगी। विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सर्वाधिक 26.77% वोट हासिल किए थे, जो उन्हें संगठनात्मक मजबूती देता है।

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