Thursday, November 20

राम मंदिर की ध्वजा को रक्षा मंत्रालय ने किया रिजेक्ट, 25 नवंबर को सेना की मदद से होगा ध्वजारोहण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फहराएंगे ‘धर्मध्वजा’

अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में 25 नवंबर को होने वाले भव्य ध्वजारोहण समारोह की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर के शिखर पर धर्मध्वजा (सूर्य ध्वज) फहराएंगे। इससे ठीक पहले ध्वज के वजन को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। रक्षा मंत्रालय और सेना की तकनीकी सलाह के बाद पहले से तैयार ध्वजा को वापस भेज दिया गया और अब नया ध्वज बनाया जा रहा है।

क्यों बदली गई ध्वजा?

राम मंदिर के लिए तैयार की गई पहली ध्वजा का वजन करीब 11 किलोग्राम था। ट्रायल के दौरान पाया गया कि इतनी ऊंचाई पर इसे फहराने में परेशानी हो सकती है। रस्सियों पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ रहा था।
रक्षा मंत्रालय व सेना की विशेषज्ञ टीम ने सुझाव दिया कि ध्वजा का वजन कम होना चाहिए ताकि तेज हवा में भी इसे सुरक्षित तरीके से फहराया जा सके।

इसके बाद नया ध्वज नायलान-रेशम मिश्रित पॉलीमर से तैयार किया जा रहा है, जिसका वजन लगभग 2.5 किलोग्राम होगा। यह हल्का, मजबूत और टिकाऊ है।

नए ध्वज की विशेषताएँ

  • वजन: लगभग 2.5 किलो
  • आयु: लगभग 3 वर्ष (हर 3 वर्ष में बदला जाएगा)
  • लंबाई: 22 फीट
  • चौड़ाई: 11 फीट
  • ऊंचाई: 205 फीट पर 360 डिग्री घूमने योग्य
  • ध्वज दंड (फ्लैग पोल):
  • वजन 5.5 टन
  • ऊंचाई 44 फीट
  • अहमदाबाद से मंगवाया गया

ध्वज पर सूर्य, ओम और कोविदार वृक्ष के प्रतीक अंकित हैं, जो वाल्मीकि रामायण से प्रेरित हैं।

सेना की मदद क्यों ली जा रही है?

ध्वजा का आकार बड़ा है, ऊंचाई अत्यधिक है और तकनीकी जटिलताएं भी काफी हैं।
ऐसे में भारतीय सेना की विशेषज्ञता बेहद महत्वपूर्ण है। सेना के इंजीनियर और जवान—

  • ऊंचे ढांचे पर ध्वज फहराने
  • रस्सियों, पुलीज और सुरक्षा उपकरणों की टेस्टिंग
  • तेज हवा, बारिश या दबाव की स्थिति में ध्वज संचालन

जैसे कार्यों में विशेषज्ञता रखते हैं।
इसी कारण सेना ध्वजारोहण प्रक्रिया में सक्रिय सहायता दे रही है और कार्यक्रम से पहले लगातार रिहर्सल भी कर रही है।

25 नवंबर को ऐतिहासिक क्षण

ध्वजारोहण कार्यक्रम मंदिर निर्माण के पूर्ण होने का प्रतीक होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं ‘धर्मध्वजा’ को शिखर पर फहराएंगे। इस आयोजन को देखने के लिए पूरे देश की निगाहें अयोध्या पर टिकी हैं।

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