Wednesday, November 19

धनखड़–राधाकृष्णन की मुलाकात पर सन्नाटा न उपराष्ट्रपति कार्यालय से बयान, न तस्वीर जारी — राजनीतिक गलियारों में तेज हुई चर्चा

नई दिल्ली।
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मंगलवार को उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन से मुलाकात करने उपराष्ट्रपति भवन पहुंचे। राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली औपचारिक भेंट थी। मुलाकात भले ही ‘शिष्टाचार’ बताई जा रही हो, लेकिन उपराष्ट्रपति कार्यालय की चुप्पी ने राजनीतिक हलकों में अटकलें बढ़ा दी हैं।

मुलाकात के बाद कार्यालय की ओर से न तो कोई आधिकारिक बयान जारी किया गया और न ही तस्वीरें साझा की गईं। आम तौर पर उच्च पदों से जुड़ी ऐसी मुलाकातों के बाद औपचारिक प्रतिक्रिया जारी की जाती है, लेकिन इस बार ऐसा न होना कई सवाल खड़े कर रहा है।

इस्तीफे के बाद पहली औपचारिक बातचीत

जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर उप-राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद हुए चुनाव में सी. पी. राधाकृष्णन ने जीत हासिल कर उपराष्ट्रपति पद संभाला।
धनखड़ आखिरी बार सितंबर में राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान नजर आए थे। मंगलवार की मुलाकात को दोनों नेताओं के बीच औपचारिक संवाद की शुरुआत माना जा रहा है।

शीतकालीन सत्र से पहले मुलाकात का राजनीतिक महत्व

यह भेंट ऐसे समय में हुई है जब संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है। इस सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयकों के पेश होने की संभावना है, ऐसे में पूर्व और वर्तमान उपराष्ट्रपति के बीच यह बातचीत राजनीतिक विश्लेषकों के लिए चर्चा का विषय बन गई है।

सूत्रों का कहना है कि मुलाकात के दौरान देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति, संसद में होने वाली आगामी बहसों और सत्र की रणनीति पर भी विचार-विमर्श हुआ होगा। हालांकि, इस संबंध में कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

राधाकृष्णन का सक्रिय कार्यकाल भी चर्चा में

उपराष्ट्रपति बनने के बाद सी. पी. राधाकृष्णन लगातार पारदर्शी प्रशासन और युवा सहभागिता पर बल दे रहे हैं। उन्होंने उपराष्ट्रपति कार्यालय में कई सुधारात्मक कदम उठाए हैं और युवाओं को राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का आह्वान किया है।

पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ और उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन की यह मुलाकात भले ही शिष्टाचार बताई जा रही हो, लेकिन आधिकारिक मौन ने इसे राजनीतिक चर्चाओं के केंद्र में ला दिया है। आने वाले दिनों में संसद के सत्र और राजनीतिक गतिविधियों के बीच इस भेंट का असर देखने को मिल सकता है।

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