
लखनऊ।
भाजपा में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का कद तेजी से बढ़ता जा रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव में बतौर सह-प्रभारी उनकी सफल रणनीति के बाद पार्टी ने उन्हें अब बिहार में विधायक दल का नेता चुनने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। भाजपा की 89 सीटों की शानदार जीत के बाद जिम्मेदारी का यह नया विस्तार कई राजनीतिक संदेश दे रहा है।
बिहार में मिली बड़ी जिम्मेदारी
भाजपा के केंद्रीय कार्यालय प्रभारी अरुण सिंह द्वारा जारी पत्र के अनुसार, बिहार में विधायक दल के नेता के चयन के लिए केशव प्रसाद मौर्य केंद्रीय पर्यवेक्षक होंगे। उनके साथ केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति सह-पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं।
यह टीम जल्द ही विधायक दल के नेता के चयन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी।
कई राज्यों में साबित कर चुके हैं नेतृत्व क्षमता
केशव मौर्य के नेतृत्व में ही भाजपा ने 2017 का ऐतिहासिक यूपी चुनाव लड़ा था, जब पार्टी 14 साल बाद सत्ता में लौटी और तीन-चौथाई बहुमत मिला।
इसके बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में भी उन्हें सह-प्रभारी की भूमिका मिली और भाजपा वहां भी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
पश्चिम बंगाल चुनाव में भी उन्हें महत्वपूर्ण चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी दी गई। इन लगातार सफल भूमिकाओं ने पार्टी में उनका कद लगातार बढ़ाया है।
ओबीसी समीकरण का बढ़ता महत्व
भाजपा की चुनावी रणनीति में ओबीसी मतदाताओं की भूमिका लगातार अहम होती जा रही है।
1990 के दशक में कल्याण सिंह के नेतृत्व में पहली बार भाजपा को यूपी की सत्ता मिली थी। इसके बाद 2017 में जब भाजपा सरकार में लौटी, तब भी ओबीसी चेहरे के तौर पर केशव प्रसाद मौर्य प्रमुख थे।
अब, विपक्ष PDA (पिछड़ा–दलित–अल्पसंख्यक) का कार्ड मजबूती से खेल रहा है, जिसका असर 2024 के लोकसभा चुनाव में भी देखा गया। इसी चुनौती का जवाब देने के लिए भाजपा एक मजबूत ओबीसी चेहरे को सामने लाने की रणनीति पर काम कर रही है।
राष्ट्रीय स्तर पर उभरता बड़ा ओबीसी चेहरा
केशव प्रसाद मौर्य न सिर्फ यूपी बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी ओबीसी नेतृत्व के मजबूत प्रतिनिधि माने जाते हैं। यही वजह है कि भाजपा उनके अनुभव, संगठन क्षमता और जातीय समीकरणों में पकड़ को अब व्यापक स्तर पर उपयोग में ला रही है।
बिहार में बढ़ी जिम्मेदारी इसे और स्पष्ट करती है कि भाजपा 2026 और 2029 के चुनावों की तैयारी अभी से कर रही है और इसमें केशव प्रसाद मौर्य की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो सकती है।
भाजपा की हालिया रणनीति इशारा करती है कि पार्टी ओबीसी नेतृत्व के विस्तार और राजनीतिक संदेश को मजबूती देने पर जोर दे रही है — और इस पूरे समीकरण में केशव प्रसाद मौर्य अब केंद्रीय भूमिका में दिखाई दे रहे हैं।