
त्रिपुरा के 24 वर्षीय MBA छात्र एंजेल चकमा की बेरहमी से हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। यह घटना न केवल एक युवा की जान लेने वाली है, बल्कि देश में नस्लभेदी और पूर्वाग्रह वाली सोच पर भी सवाल खड़े करती है।
क्या हुआ
एंजेल चकमा पर कैंटीन में नस्लीय हमला हुआ था। 17 दिनों तक देहरादून के अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझने के बाद एंजेल ने दम तोड़ा। उनके पिता, तरुण चकमा, जो BSF में तैनात हैं, ने बताया कि एंजेल आखिरी वक्त तक यही कहते रहे कि “मैं इंडियन हूं, चाइनीज नहीं।”
पूर्वोत्तर के छात्र संघ की प्रतिक्रिया
त्रिपुरा स्वदेशी छात्र संघ के अध्यक्ष सजरा देबबर्मा ने कहा, “एंजेल की मृत्यु सिर्फ उसकी नहीं, बल्कि पूर्वोत्तर के सभी लोगों की है। दोषियों को जल्द से जल्द सजा दी जाए और किसी को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए। यदि सरकार पूर्वोत्तर के लोगों को सम्मान और सुरक्षा नहीं दे सकती, तो हमें अलग रास्ता चुनने की आज़ादी दी जाए।”
देशभर में फैल रही अपमानजनक सोच
लेखक ने बताया कि यह घटना केवल पूर्वोत्तर तक सीमित नहीं है। मुंबई में यूपी के लोगों को ‘भैया’, दिल्ली में बिहार से आए लोगों को ‘ऐ बिहारी’ कहकर अपमानित किया जाता है। इस घटना ने यह सवाल फिर से खड़ा कर दिया कि हमारे ही देश के लोग अपने भाई-बंधुओं के साथ क्यों इतनी बेरहम और नस्लभेदी सोच रखते हैं।
राजनीतिक और सामाजिक जिम्मेदारी
लेखक ने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की है कि वह सार्वजनिक रूप से इस घटना की निंदा करें और देशवासियों को एकजुट होकर सभी नागरिकों के प्रति समान सम्मान और सम्मानजनक व्यवहार का संदेश दें। उन्होंने यह भी कहा कि माता-पिता को बच्चों में सदाचार और सहिष्णुता सिखाने के लिए जागरूक होना चाहिए, क्योंकि वही समाज का पहला शिक्षक होते हैं।
अभी तक की कार्रवाई
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि मामले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। अब तक पांच आरोपी पकड़े गए हैं, जबकि मुख्य हमलावर नेपाल का रहने वाला बताया जा रहा है और वह फरार है।
यह मामला राष्ट्रीय शर्म और चेतावनी दोनों है। देश को यह संदेश देना होगा कि नस्ल, प्रदेश और धर्म के आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव और हिंसा सहन नहीं की जाएगी।