Thursday, December 18

ख्वाजा गरीब नवाज दरगाह में पीएम की चादर पर रोक की मांग, अजमेर कोर्ट आज करेगा सुनवाई

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में उर्स के दौरान प्रधानमंत्री की ओर से चादर चढ़ाने की परंपरा को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इस संबंध में दायर याचिका पर अजमेर की अदालत गुरुवार को सुनवाई करेगी। मामला संवेदनशील होने के कारण अदालत परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

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दरअसल, अजमेर शरीफ में सालाना उर्स की आधिकारिक शुरुआत 17 दिसंबर से हो चुकी है। इसी बीच अदालत में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की ओर से दरगाह में चादर चढ़ाने की परंपरा पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका के सामने आने के बाद धार्मिक और राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है।

सुरक्षा कारणों से टली थी सुनवाई

बुधवार को मामले की सुनवाई प्रस्तावित थी, लेकिन सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए अदालत ने इसे एक दिन के लिए टाल दिया। अदालत परिसर में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था। इसके बाद कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई करने का फैसला लिया।

याचिका में जताई गई आपत्ति

याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई है कि दरगाह परिसर से जुड़े एक अन्य मामले में पहले भी सर्वे की मांग की जा चुकी है। साथ ही यह भी कहा गया है कि चादर चढ़ाने जैसी गतिविधियों से जनधारणा प्रभावित होती है।

वहीं, सरकार और दरगाह प्रबंधन की ओर से याचिका को तथ्यों से परे बताया गया है। उनका कहना है कि यह एक पुरानी परंपरा है, जिसका उद्देश्य धार्मिक आस्था और सद्भावना को प्रकट करना रहा है।

सभी की निगाहें कोर्ट के फैसले पर

अदालत ने स्पष्ट किया है कि सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। फिलहाल उर्स की परंपरागत रस्में तय कार्यक्रम के अनुसार जारी हैं, लेकिन इस मामले पर होने वाली सुनवाई को लेकर सभी की निगाहें कोर्ट पर टिकी हुई हैं।

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