दिल्ली धमाका: जिंदा बचे पीड़ितों की जिंदगी मौत से भी बदतर, डरावने सपनों में फंसे
नई दिल्ली (देवांशी मेहता): लाल किले के पास हुए दिल्ली धमाके ने कई लोगों की जान ले ली, लेकिन जो बचे उनकी जिंदगी मौत से भी कठिन हो गई है। 15-16 दिनों से पीड़ित एक पल भी चैन से सो नहीं पा रहे हैं। रात में अचानक जागना, फ्लैशबैक, डरावने सपने और रोजमर्रा की जिंदगी में भारी परेशानी इनकी आम दिक्कतें बन गई हैं।
राहुल कौशिक: डर ने बदल दी जिंदगी
21 वर्षीय राहुल कौशिक, जो 3D VFX एनिमेशन कोर्स के छात्र हैं, अब कॉलेज नहीं जा पा रहे। धमाके में उनका दोस्त अंकुश गंभीर रूप से घायल हुआ और उसकी एक आंख की रोशनी चली गई। राहुल कहते हैं, "हर बार जब आंखें बंद करता हूं, वही दृश्य मेरे सामने आता है। खून, घायल दोस्त, मृतक लोग—सब कुछ।" डॉक्टरों ने उनके बाएं कान की सुनने की क्षमता स्थायी रूप से चली जाने की पुष्टि की है।
शायना और भवानी की जिंदगी बनी नरक
23 वर्षीय शायना का बायाँ कान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गय...









