
नई दिल्ली | भारत और यूरोपीय संघ (EU) ने हिंद महासागर में बिछी समुद्री इंटरनेट केबल्स की सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया है। ये मोटी केबल्स दुनिया भर के इंटरनेट ट्रैफिक का लगभग 99 प्रतिशत संभालती हैं। इनके बिना फेसबुक, व्हाट्सऐप, यूट्यूब, गूगल, नेटफ्लिक्स जैसी सेवाओं का उपयोग लगभग नामुमकिन हो जाता है।
क्यों जरूरी है सुरक्षा?
- समुद्र के नीचे बिछी ये केबल्स समुद्र तल पर खुली रहती हैं और किसी भी व्यक्ति द्वारा आसानी से नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
- हाल ही में लाल सागर और भारत-पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में इनसे छेड़छाड़ के मामले सामने आए हैं।
- इन पर हमला या कटौती से इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं पर भारी असर पड़ सकता है।
कौन कर रहा सुरक्षा पहल?
- भारत और EU के अधिकारी, साथ ही हिंद महासागर के कई देशों के करीब 70 बड़े अधिकारी और सैन्य प्रतिनिधि एक बैठक में शामिल होंगे।
- इस बैठक का मुख्य उद्देश्य केबल सुरक्षा की मैपिंग और खतरे का आकलन करना है।
- EU ने पहले ही केबल सुरक्षा के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है, जिसे भारत के सहयोग से और मजबूत किया जाएगा।
केबल्स का महत्व
- समुद्री केबल्स महाद्वीपों और देशों को जोड़ती हैं।
- भारत से यूरोप, अमेरिका, सिंगापुर और मध्य पूर्व तक जाने वाली बड़ी केबलें हिंद महासागर से होकर गुजरती हैं।
- भारत में 5G नेटवर्क तैयार हो चुका है और आने वाले समय में AI और डेटा आधारित सेवाओं के लिए इन केबल्स की अहमियत और बढ़ जाएगी।
भविष्य की तैयारी
- 27 जनवरी को दिल्ली में भारत-EU का सालाना शिखर सम्मेलन होगा, जिसमें डिजिटल दुनिया और केबल सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- यह कदम भारत और EU के बीच सुरक्षा और तकनीकी सहयोग को बढ़ाने के लिए अहम माना जा रहा है।
निष्कर्ष:
हिंद महासागर की ये समुद्री केबल्स केवल इंटरनेट का माध्यम नहीं, बल्कि देशों और महाद्वीपों को जोड़ने वाला जीवनरेखा हैं। भारत और EU का यह सहयोग डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने और वैश्विक इंटरनेट ट्रैफिक को सुरक्षित बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।