Monday, December 1

सक्सेस स्टोरी: गलती से मिली सीख, संकल्प ने किया कमाल! इंजीनियर दंपती ने खड़ा किया 15 करोड़ का मशरूम साम्राज्य

नई दिल्ली: कहते हैं कठिन हालात ही असली सफलता का रास्ता दिखाते हैं। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के इंजीनियर दंपती पूनम शर्मा और नवीन पटवाल की कहानी इसी कहावत का जीता-जागता उदाहरण है। कोरोना लॉकडाउन के दौरान जहां व्यवसायियों के कदम डगमगा गए, वहीं इस दंपती ने अपनी सबसे बड़ी गलती को सबसे बड़ी ‘सीख’ में बदल डाला। यही वजह है कि आज उनका ब्रांड ‘प्लेनेट मशरूम’ 15 करोड़ रुपये के सालाना टर्नओवर तक पहुंच चुका है।

लॉकडाउन का झटका बना टर्निंग प्वाइंट

नवीन पटवाल ने 2007 में बैंक लोन से हाई-टेक बटन मशरूम फार्म की शुरुआत की थी। 2016 तक फार्म की क्षमता बढ़कर प्रतिदिन 3 टन हो चुकी थी और पूरी उपज दिल्ली की आजादपुर मंडी भेजी जाती थी।
लेकिन 24 मार्च 2020 की शाम लगा लॉकडाउन उनकी मेहनत पर बिजली बनकर गिरा।
कोल्ड स्टोरेज के अभाव और वैकल्पिक खरीदार न मिलने से 3,000 किलो मशरूम खेतों में फेंकने पड़े। करीब 2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियर पूनम और उनके पति नवीन ने इस हादसे से दो बड़े सबक सीखे—

  1. एक ही खरीदार पर निर्भरता घातक है।
  2. बहुत कम शेल्फ लाइफ वाले एक ही उत्पाद पर निर्भर रहना जोखिमपूर्ण है।

डायवर्सिफिकेशन का बड़ा फैसला

लॉकडाउन ने उन्हें प्लेटफॉर्म बदले बिना अप्रोच बदलने की प्रेरणा दी।
2020 में दंपती ने अपना नया ब्रांड ‘प्लेनेट मशरूम’ लॉन्च किया।
उन्होंने बटन मशरूम से आगे बढ़कर एग्जॉटिक किस्मों की खेती शुरू की—

  • शिटाके
  • किंग ऑयस्टर
  • लायन्स मेन
  • रेशी
  • कॉर्डिसेप्स

इन मशरूमों का बाजार मूल्य 1000–1200 रुपये किलो तक है, जबकि सूखे मशरूम 8,000 से 12,000 रुपये किलो तक बिकते हैं।

मौजूदा लैब और तकनीकी ढांचे ने उन्हें तेजी से उत्पादन बढ़ाने में मदद की।

बिचौलियों को हटाया, खुद खोला रिटेल आउटलेट

एग्जॉटिक मशरूम की पहली फसल बेचने जब नवीन दिल्ली पहुंचे, तो एक दुकानदार ने उनका 1200 रुपये वाला शिटाके मात्र 300 रुपये किलो में खरीदने की पेशकश की।
उन्होंने उस फसल को बेचने के बजाय मुफ्त में बांट दिया, लेकिन इस घटना ने उन्हें तीसरा सबक दिया—
ग्राहक तक सीधी पहुंच जरूरी है।

दो महीने में उन्होंने:

  • आईएनए मार्केट में अपना खुद का रिटेल आउटलेट खोला
  • अपनी वेबसाइट बनाई
  • सोशल मीडिया पर सक्रिय मार्केटिंग शुरू की

आज उनकी यूनिट:

  • रोजाना 3.5 टन बटन मशरूम
  • और हर एग्जॉटिक किस्म के 100–100 किलो
    का उत्पादन करती है।

नतीजा—सालाना टर्नओवर 15 करोड़ रुपये

गुच्छी की खेती—देश में सेट किया अनोखा रिकॉर्ड

दंपती की सबसे बड़ी उपलब्धि उनके नवाचार में छिपी है।
उन्होंने जंगली और बेहद महंगी मशरूम प्रजाति गुच्छी (₹30,000–40,000/किलो) की खेती पॉलीहाउस में सफलतापूर्वक कर दिखाई।

2022 में शुरू हुआ उनका प्रयोग 2024 में रंग लाया।
100 वर्ग मीटर पॉलीहाउस से उन्हें:

  • 100 किलो ताजी गुच्छी
  • सूखने के बाद 13 किलो
    की दुर्लभ उपज मिली।

यह उपलब्धि न सिर्फ व्यवसायिक सफलता है, बल्कि पहाड़ी इलाकों में आधुनिक खेती की नई दिशा भी है।

सीख और सफलता की मिसाल

पूनम और नवीन की कहानी बताती है कि—

  • संकट सीख देता है,
  • गलतियां दिशा दिखाती हैं,
  • और नवाचार लोगों को भीड़ से अलग खड़ा करता है।

महामारी में नुकसान झेलने वाला यह इंजीनियर कपल आज न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा बन गया है।

Leave a Reply