Monday, December 1

लखीसराय में डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा के स्वागत के दौरान फायरिंग का दावा—सच क्या है?

लखीसराय/बड़हिया: बिहार के डिप्टी सीएम और लखीसराय विधायक विजय कुमार सिन्हा चुनाव में शानदार जीत दर्ज करने के बाद पहली बार अपने गृह क्षेत्र पहुंचे। यहां उनका कार्यकर्ताओं ने जोशीला स्वागत किया। लेकिन इसी बीच एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें दावा किया गया कि स्वागत में बंदूक से फायरिंग की गई। सोशल मीडिया पर यह खबर तेजी से फैली और विपक्ष ने भी इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की।

लेकिन जांच में सामने आया सच कुछ और ही है।

बाइक-कार रैली के बीच हुआ जोरदार स्वागत

विजय कुमार सिन्हा के लखीसराय सीमा में प्रवेश करते ही कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत किया। क्षेत्र में ‘आभार यात्रा’ निकाली गई और बड़ी संख्या में बाइक व कार रैली भी देखने को मिली।
इसके बाद डिप्टी सीएम ने बड़हिया के प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां बाला त्रिपुर सुंदरी जगदम्बा मंदिर में पूजा-अर्चना की और क्षेत्र को शक्ति धाम के रूप में विकसित करने का संकल्प जताया।

उन्होंने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार और अपराध पर पूरी तरह सख्त है और कोई भी अपराधी या माफिया बख्शा नहीं जाएगा

वायरल वीडियो ने बढ़ाया सवाल—क्या सच में हुई फायरिंग?

एक वीडियो वायरल होने के बाद यह दावा किया जाने लगा कि स्वागत में बंदूक से फायरिंग हुई। वीडियो में दो लोग पुरानी शैली की बंदूकनुमा वस्तु दागते दिखाई दिए।
लेकिन जांच में पता चला कि यह आधुनिक बंदूक नहीं, बल्कि स्थानीय परंपरा में इस्तेमाल होने वाली चिड़ीमार बंदूक है।

क्या है चिड़ीमार बंदूक? खतरनाक या सिर्फ शोर मचाने वाली?

  • यह बंदूक दिखने में जरूर बंदूक जैसी लगती है,
  • लेकिन इसमें न गोली होती है, न छर्रा।
  • इसमें केवल बारूद भरा जाता है, जो चलाने पर तेज आवाज और थोड़ा धुआं पैदा करता है।
  • इसका इस्तेमाल लखीसराय और बड़हिया इलाके में
  • मुंडन,
  • शादी,
  • त्योहारों,
  • और खेतों से नीलगाय व जानवर भगाने
    के लिए वर्षों से किया जाता रहा है।

चिड़ीमार बंदूक दागने वाले लोग स्थानीय मुस्लिम समुदाय के हैं, जो हिंदुओं के उत्सवों और सामाजिक कार्यक्रमों में पारंपरिक रूप से यह जिम्मेदारी निभाते हैं।

निष्कर्ष: ‘फायरिंग’ नहीं, परंपरागत तरीके से किया गया स्वागत

वायरल दावा भ्रामक निकला। डिप्टी सीएम के स्वागत में कोई हथियारबंद फायरिंग नहीं की गई थी, बल्कि पारंपरिक चिड़ीमार बंदूक से उत्सव का माहौल बनाया गया था, जिससे किसी तरह का खतरा नहीं होता।

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