
नई दिल्ली: भारत रूस से पांच और S-400 एयर डिफेंस सिस्टम स्क्वाड्रन खरीदने की योजना पर काम कर रहा है। इसके अलावा पहले से मौजूद डिफेंस सिस्टम के लिए बड़ी संख्या में मिसाइलें भी खरीदी जाएंगी। 5 दिसंबर को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बैठक में इस रक्षा सौदे पर चर्चा होने की उम्मीद है।
सुखोई-30MKI अपग्रेड को मंजूरी
भारतीय वायुसेना के 84 सुखोई-30MKI लड़ाकू विमानों के अपग्रेड को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) द्वारा जल्द मंजूरी मिलने वाली है। इसमें 63,000 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है। अपग्रेड पैकेज में अत्याधुनिक रडार सिस्टम, एवियोनिक्स, लंबी दूरी के हथियार और मल्टी-सेंसर फ्यूजन शामिल होंगे, जिससे ये विमान अगले 30 सालों तक हवाई युद्ध के लिए पूरी तरह सक्षम रहेंगे। अपग्रेड का काम स्वदेशी रूप से किया जाएगा, हालांकि इसमें रूस की भूमिका भी रहेगी।
पाँचवीं पीढ़ी के सुखोई-57 पर निर्णय बाकी
भारत ने रूस से पाँचवीं पीढ़ी के सुखोई-57 लड़ाकू विमानों की खरीद पर अभी तक अंतिम निर्णय नहीं लिया है। इन विमानों को अमेरिकी F-35 फाइटर जेट के मुकाबले में पेश किया जा रहा है। भारतीय वायुसेना अस्थायी तौर पर कुछ पाँचवीं पीढ़ी के विमानों की जरूरत महसूस कर रही है, जब तक कि स्वदेशी AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) 2035 तक तैयार नहीं हो जाता।
रक्षा संतुलन में भारत की रणनीति
वैश्विक स्तर पर सुरक्षा चुनौतियों के बीच भारत पुराने हथियार आपूर्तिकर्ता रूस और अमेरिका के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास कर रहा है। पिछले 15 सालों में अमेरिका से भारत ने 26 अरब डॉलर के रक्षा सौदे किए हैं। इस महीने की शुरुआत में TEJAS Mark-1A विमानों के लिए 113 GE-F404 इंजन खरीदने के 1 अरब डॉलर के सौदे के साथ, नौसेना द्वारा खरीदे जा रहे 24 अमेरिकी MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टरों के ‘फॉलो-ऑन सपोर्ट पैकेज’ को भी मंजूरी दी गई है।
S-400 के बचे दो बैच 2026 में मिलेंगे
रूस ने भारत को आश्वासन दिया है कि पुरानी डील के तहत बचे दो S-400 स्क्वाड्रन नवंबर 2026 तक भारत को सौंप दिए जाएंगे। इनकी कीमत 5.4 अरब डॉलर (लगभग 40,000 करोड़ रुपये) है।
एस-400 मिसाइलों की बड़ी खरीद
रक्षा मंत्रालय ने S-400 मिसाइलों की बड़ी संख्या में खरीद को भी मंजूरी दे दी है, जिसकी कीमत 10,000 करोड़ रुपये है। इन मिसाइलों की इंटरसेप्शन रेंज 120, 200, 250 और 380 किलोमीटर है। इनका इस्तेमाल पाकिस्तान के साथ हालिया झड़पों में उपयोग हुए स्टॉक को फिर से भरने और भंडार तैयार करने के लिए किया जाएगा।