
इस्लामाबाद/नई दिल्ली: भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा दिए गए उस बयान—“सिंध एक दिन भारत का हिस्सा बनेगा”—के बाद पाकिस्तान की राजनीति और सेना में जोरदार हलचल मच गई है। पहले से ही आर्थिक और सुरक्षा संकट झेल रहे पाकिस्तान में अब पीओके, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में लगातार अस्थिरता बढ़ रही है। वहीं अफगानिस्तान सीमा पर डूरंड लाइन को लेकर तनाव किसी भी समय संघर्ष का रूप ले सकता है।
इन्हीं हालात के बीच पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने कठोर बयान देते हुए दावा किया कि भारत के साथ हालिया संघर्ष के बाद पाकिस्तान का “वैश्विक कद बढ़ा है” और सेना देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सक्षम है।
“मरका-ए-हक” नाम देकर सैन्य सफलता का दावा
पाकिस्तानी सेना ने भारत के साथ चार दिनों तक चले संघर्ष को “मरका-ए-हक” नाम दिया है। हालांकि रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि वास्तविकता इसके विपरीत रही। भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर किए गए हमलों को रोकने में पाक सेना विफल रही। रिपोर्टों के अनुसार भारत ने 11 एयरबेस पर भी कार्रवाई की, जिसके दौरान पाकिस्तान वायुसेना के किसी भी लड़ाकू विमान ने उड़ान नहीं भरी।
इसके बावजूद ISPR (इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस) द्वारा जारी बयान में कहा गया कि पाकिस्तान सेना पूरी तरह सजग है और किसी भी खतरे का जवाब देने में सक्षम है।
सीमाओं पर तनाव, देश के भीतर विरोध
पाकिस्तान इस समय कई मोर्चों पर चुनौतियों से जूझ रहा है।
- बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में रोजाना आतंकी हमले
- पीओके में बढ़ते विरोध और भारी प्रदर्शन
- अफगानिस्तान सीमा पर सैन्य तनाव
विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान में बिगड़ते हालात और जनता के असंतोष के बीच सेना नेतृत्व की कड़ी बयानबाज़ी आंतरिक दबाव को कम करने का प्रयास हो सकता है।
“राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता”
ISPR के अनुसार, असीम मुनीर ने नेशनल सिक्योरिटी वर्कशॉप–27 के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि:
- क्षेत्रीय अखंडता और सीमाओं की रक्षा सेना की सर्वोच्च प्राथमिकता है
- बाहरी समर्थन से संचालित आतंकवाद एक बड़ा खतरा है
- सूचना युद्ध (इन्फॉर्मेशन वारफेयर) के खिलाफ सेना सतर्क है
उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान सेना किसी भी परिस्थिति में देश की सुरक्षा से समझौता नहीं करेगी।
पाकिस्तान के भीतर बढ़ती अस्थिरता और भारत को लेकर लगातार बयानबाज़ी से यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में दक्षिण एशिया में तनाव और बढ़ सकता है। राजनीतिक विशेषज्ञ स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।