Monday, November 3

वृंदावन में आज दोहरी धूम : प्रेमानंद महाराज ने बताया धाम का महिमा, मनाया जा रहा वृंदावन प्राकट्य उत्सव और राधा वल्लभ पाटोत्सव

मथुरा, 03 नवम्बर 2025।
वृंदावन धाम आज भक्ति और उल्लास से सराबोर है। वृंदावन प्राकट्य उत्सव और श्री राधा वल्लभ जी के पाटोत्सव के पावन अवसर पर देश-विदेश से आए लाखों श्रद्धालु भक्ति भाव में लीन हैं। संपूर्ण धाम में घंटों-घंटियों और संकीर्तन की गूंज के बीच प्रेमानंद महाराज ने अपने दिव्य प्रवचन में वृंदावन की आध्यात्मिक महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि —
वृंदावन कोई साधारण तीर्थ नहीं, बल्कि यह युगल रूप राधा-कृष्ण का निज महल है, जो उन्हें परम सुख प्रदान करता है। यह वह धाम है जहाँ युगल किशोर नित्य विहार करते हैं और जिसकी कांति से पूरा ब्रजमंडल आलोकित रहता है।”

महाराज ने कहा कि वृंदावन धाम सभी धामों का मूल है और इसकी महिमा भगवान की महिमा से भी अधिक कही गई है। यहाँ की वायु, जल, वृक्ष और धूल भी भक्तों को दिव्य आनंद प्रदान करती है।

प्राकट्य उत्सव का इतिहास
मान्यता है कि सदियों पूर्व वृंदावन धाम लुप्त हो गया था, जिसे श्री चैतन्य महाप्रभु ने 16वीं शताब्दी में अपने शिष्यों की सहायता से पुनः खोजा और पुनर्जीवित किया। इस कारण इस दिन को “वृंदावन प्राकट्य उत्सव” के रूप में मनाया जाता है।

राधा वल्लभ पाटोत्सव की परंपरा
इसी दिन श्री हित हरिवंश महाप्रभु द्वारा श्री राधा वल्लभ लाल जी को प्रथम बार वृंदावन में विराजमान किया गया था। कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी की यह तिथि आज भी प्रेम और भक्ति की परंपरा के आरंभ दिवस के रूप में मनाई जाती है।

भक्ति में लीन श्रद्धालु, उत्सव का उल्लास चरम पर
राधा वल्लभ मंदिर में भव्य सजावट, पुष्पहारों से सजे गलियारे और लगातार हो रहे भजन-संकीर्तन ने पूरे धाम को दिव्यता से भर दिया है। मंदिरों में दीपों की पंक्तियाँ, रासलीला के मंचन और भक्तों के जयकारों से वातावरण भक्तिरस में डूब गया है।

वृंदावन धाम आज न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बना हुआ है, बल्कि यह दिन राधा-कृष्ण प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिक चेतना के जागरण का पर्व बन गया है।

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