
क्या केंद्र सरकार बंगाल की महिला वोटरों को लुभाने के लिए ला सकती है ‘स्पेशल योजना’?
बिहार चुनाव में एनडीए की ऐतिहासिक जीत ने पूरे देश के राजनीतिक समीकरण बदल दिए। बिहार में महिला मतदाताओं ने रिकॉर्ड संख्या में एनडीए के पक्ष में मतदान किया, जिसे ‘लेडी फैक्टर’ की बड़ी जीत कहा गया।
राज्य सरकार द्वारा लड़की बचाओ–लड़की पढ़ाओ, कन्या सुमंगला, लाडली योजना जैसी स्कीमों के साथ—महिलाओं के खातों में सीधे 10–10 हजार रुपये की आर्थिक मदद ने चुनावी हवा को स्पष्ट रूप से प्रभावित किया।
अब सवाल है—
क्या बिहार मॉडल पश्चिम बंगाल में भी दोहराया जा सकता है?
क्या केंद्र सरकार बंगाल की महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए बड़ी आर्थिक सहायता / डायरेक्ट बेनिफिट योजना ला सकती है?
बंगाल की जमीन—बड़ी चुनौती और बड़ा अवसर
पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले कई वर्षों में कन्याश्री, लक्ष्मी भंडार, रूपश्री जैसी योजनाओं के माध्यम से महिलाओं में मजबूत आधार बनाया है।
यह आधार इतना गहरा है कि विपक्ष के लिए बंगाल की राजनीति में सेंध लगाना बेहद कठिन रहा है।
लेकिन बिहार की तरह अगर महिला वोटरों को सीधा वित्तीय लाभ, मोटा पैसों का ट्रांसफर या नई “केंद्र प्रायोजित प्रीमियम योजना” मिलती है, तो यह ममता सरकार की राजनीतिक चुनौती को कई गुना बढ़ा सकता है।
क्या केंद्र सरकार ला सकती है बड़ी महिला-केंद्रित योजना?
राजनीति के जानकार मानते हैं कि आने वाले महीनों में केंद्र सरकार निम्नलिखित में से किसी एक बड़े कदम की घोषणा कर सकती है:
1. ‘प्रधानमंत्री नारी सशक्तिकरण निधि’ जैसी योजना
महिलाओं के खातों में 10–20 हजार रुपये की एकमुश्त सहायता, खासकर गरीब, एकल महिलाओं और विधवाओं के लिए।
2. ‘मातृत्व सुरक्षा बोनस योजना’
केंद्र सरकार द्वारा गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 12–15 हजार रुपये की सहायता।
यह योजना सीधे बंगाल की लगभग हर महिला परिवार को प्रभावित करेगी।
3. ‘महिला उद्यमिता प्रोत्साहन योजना’
महिला उद्यमियों को ब्याज-मुक्त या सब्सिडी वाले ऋण, साथ ही 5–10 हजार रुपये की सीधी मदद।
4. ‘गरीब घर की महिला के खाते में सालाना 15 हजार रुपये’ योजना
कर्नाटक, मध्य प्रदेश और बिहार की स्कीमों की तरह—
सीधी नकद सहायता चुनावी रुझान बदलने में निर्णायक हथियार बन सकती है।
बंगाल में ऐसी योजना के राजनीतिक मायने
1. ममता बनर्जी के किले में सेंध
बंगाल में लगभग 52% वोटर महिलाएँ हैं।
अगर केंद्र सरकार उन्हें सीधे आर्थिक फायदा देती है, तो यह टीएमसी के परंपरागत वोट बैंक को सीधा चुनौती देगा।
2. भाजपा के लिए बड़े चुनावी लाभ की संभावना
बिहार में जैसे महिलाओं ने एनडीए को ऐतिहासिक जीत दिलाई, उसी तर्ज पर यह बंगाल में भी हो सकता है।
3. टीएमसी बनाम बीजेपी—सीधी मुकाबले की जमीन तैयार
ममता दीदी की सबसे बड़ी ताकत महिला वोटर हैं।
अगर यह आधार खिसकता है, तो बंगाल की राजनीति पूरी तरह बदल सकती है।
क्या लक्ष्य है?—बंगाल को ‘बिहार की तरह अपने खेमे में लाना’
भाजपा के राजनीतिक रणनीतिकारों का स्पष्ट लक्ष्य है:
बंगाल में महिलाओं के बीच अपनी पैठ बढ़ाकर टीएमसी को मात देना।
बिहार में महिलाओं के लिए बनी योजनाओं ने यह साबित कर दिया कि
अगर महिला मतदाता खुश हैं, तो सत्ता का रास्ता आसान हो जाता है।
इसी मॉडल को अब बंगाल में भी लागू किया जा सकता है।
निष्कर्ष: क्या ममता दीदी की ‘चुनौती’ अब और बढ़ने वाली है?
सियासी जानकारों का मानना है कि आने वाले महीनों में केंद्र सरकार महिलाओं पर फोकस करने वाली कोई बड़ी, हाई-विजिबिलिटी स्कीम ला सकती है—
जिससे बंगाल में राजनीतिक हवा बदल सके
और महिला वोटरों का भरोसा केंद्र के पक्ष में झुकाया जा सके।
अगर ऐसा होता है, तो बंगाल की राजनीति में सबसे बड़े झटके का सामना ममता बनर्जी को करना पड़ सकता है।