
नई दिल्ली: देश के 36 पूर्व न्यायाधीशों ने मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन के खिलाफ विपक्षी दलों द्वारा महाभियोग प्रस्ताव लाने की पहल की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सीधे हमला बताया और सांसदों तथा आम नागरिकों से इस कदम का विरोध करने की अपील की है।
पूर्व न्यायाधीशों ने अपने पत्र में कहा है, “महाभियोग प्रस्ताव के जरिए उन जजों को डराने-धमकाने की यह एक खुली कोशिश है, जो समाज के किसी विशेष वर्ग की वैचारिक और राजनीतिक अपेक्षाओं के अनुरूप निर्णय नहीं लेते। अगर इसे आगे बढ़ने दिया गया तो यह हमारे लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की जड़ों को नुकसान पहुंचाएगा।”
पत्र में पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश कृष्ण मुरारी जे के साथ कई हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और जजों ने भी हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि यह कदम भारत के संवैधानिक इतिहास में हाल के समय के चिंताजनक पैटर्न का हिस्सा है। राजनीतिक दबाव में निर्णय न देने वाले न्यायाधीशों को डराने और बदनाम करने की कोशिश नई नहीं है।
पूर्व न्यायाधीशों ने सभी हितधारकों—सांसदों, बार एसोसिएशन, नागरिक समाज और आम जनता—से आग्रह किया है कि वे इस कदम का विरोध करें और इसे आरंभ में ही रोक दें।
मामले की पृष्ठभूमि: कांग्रेस, द्रमुक, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने ‘कार्तिगई दीपम’ मामले में निर्णय देने वाले जस्टिस स्वामीनाथन को पद से हटाने का प्रस्ताव लोकसभा अध्यक्ष को सौंपा था। आरोप लगाया गया कि न्यायमूर्ति स्वामीनाथन का आचरण न्यायपालिका की निष्पक्षता, पारदर्शिता और धर्मनिरपेक्ष कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
पूर्व न्यायाधीशों ने चेताया है कि यदि इस तरह के प्रयासों को बढ़ावा दिया गया, तो यह सीधे लोकतंत्र और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला होगा।