Tuesday, December 16

आज़ादी की लड़ाई में मुसलमानों की ऐतिहासिक कुर्बानी, अबु आज़मी के बयान पर मौलाना शहाबुद्दीन का समर्थन

भारत की आज़ादी की लड़ाई में मुसलमानों की भूमिका को लेकर उठे विवाद के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबु आज़मी के समर्थन में खुलकर सामने आए हैं। मौलाना ने कहा कि अबु आज़मी का बयान ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है और पूरी तरह सही है।

This slideshow requires JavaScript.

मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत की आज़ादी में मुसलमानों ने हिंदुओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कुर्बानियां दीं। 1857 की क्रांति से लेकर 1947 की आज़ादी तक मुसलमानों की शहादत इतिहास के पन्नों में दर्ज है। उन्होंने आरोप लगाया कि आज कुछ फिरकापरस्त ताकतें मुसलमानों के योगदान पर सवाल खड़े कर रही हैं, जो न सिर्फ़ गलत है बल्कि इतिहास का अपमान भी है।

उन्होंने कहा कि मदरसों से जुड़े करीब 55 हज़ार छात्रों और उलेमाओं ने देश की आज़ादी के लिए अपनी जान कुर्बान की, लेकिन आज उनके बलिदान को नकारने की कोशिश की जा रही है। मौलाना ने कहा, “यह सरासर झूठ है कि आज़ादी की लड़ाई में मुसलमानों का कोई योगदान नहीं था। इतिहास इसकी गवाही देता है।”

‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा और उलेमाओं की भूमिका

मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा मौलाना हसरत मोहानी ने दिया था, जो मदरसे से निकले हुए एक बड़े क्रांतिकारी थे। वहीं अल्लामा फ़ज़ल-ए-हक़ ख़ैराबादी ने दिल्ली की जामा मस्जिद की सीढ़ियों से अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ फ़तवा जारी किया, जिससे देशभर में आज़ादी की अलख जगी। इन्हीं कुर्बानियों का नतीजा था कि अंग्रेज़ों को देश छोड़कर जाना पड़ा।

सपा और कांग्रेस का भी समर्थन

अबु आज़मी के बयान पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भी समर्थन जताया है।
सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि भारत की आज़ादी के लिए हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई—सभी धर्मों के लोगों ने बलिदान दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दलों का आज़ादी की लड़ाई में कोई उल्लेखनीय योगदान नहीं रहा।

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि आज़ादी के आंदोलन में सभी धर्मों के लोगों ने कुर्बानियां दीं। उन्होंने कहा कि कई मौलानाओं को अंग्रेज़ों ने पेड़ों पर फांसी दी, लेकिन उनके बलिदान को आज भुलाने की कोशिश की जा रही है।

इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का आरोप

मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा कि आज़ादी की लड़ाई को धर्म के चश्मे से देखना देश की एकता के लिए ख़तरनाक है। उन्होंने कहा कि भारत सभी धर्मों की साझी कुर्बानियों से आज़ाद हुआ है, और इस सच्चाई को नकारना राष्ट्र के साथ धोखा है।

Leave a Reply