
AI का इस्तेमाल कहाँ करें स्टूडेंट्स? समझें स्मार्ट स्टडी का फॉर्मूला**
स्कूलों और कॉलेजों में पिछले कुछ समय से नोट्स और होमवर्क तैयार करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ा है। ChatGPT, Grok और Gemini जैसे AI टूल बच्चों का होमवर्क, असाइनमेंट और यहां तक कि क्लास नोट्स तक तैयार कर दे रहे हैं।
शुरुआत में शिक्षक हैरान थे, लेकिन अब चिंतित हैं—क्योंकि जो बच्चे पहले 90–95% अंक लाते थे, वे अब फाइनल परीक्षा में 60–65% तक सिमट रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि AI पर ज्यादा निर्भरता बच्चों की समझ और कॉन्सेप्ट दोनों कमजोर कर रही है।
सर्वे में चौंकाने वाली बातें
एक ताज़ा सर्वे के अनुसार—
- 11वीं–12वीं के 68% छात्र हफ्ते में कम से कम तीन बार AI की मदद से होमवर्क कर रहे हैं।
- ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 42% तक पहुंच गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब विद्यार्थी खुद न सोचें, न लिखें और न रिसर्च करें, तो दिमाग में कॉन्सेप्ट बैठता ही नहीं।
AI तुरंत जवाब दे देता है, लेकिन परीक्षा में जब सवाल थोड़ा अलग रूप में आता है, बच्चे फंस जाते हैं। इससे उनकी क्रिटिकल थिंकिंग और प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल कमज़ोर होती है।
AI से बना होमवर्क… टीचर कर सकते हैं फेल
AI पर पूरी तरह निर्भरता का एक और दुष्परिणाम—
आज स्कूल-कॉलेजों में AI डिटेक्शन टूल्स सामान्य हो गए हैं।
अगर कोई असाइनमेंट या होमवर्क पूरी तरह AI-जनरेटेड पाया गया, तो शिक्षक सीधे फेल कर सकते हैं।
AI कई बार इतिहास, विज्ञान और गणित जैसे विषयों में गलत या अधूरी जानकारी भी देता है।
लगातार AI से मदद लेने पर दिमाग धीरे-धीरे आलसी होता जाता है और सोचने की क्षमता घटती है।
क्रिएटिविटी पर भी असर
जब विद्यार्थी अपने नोट्स खुद बनाते हैं, तो वे अपने शब्दों और डायग्राम्स के साथ एक मानसिक मैप तैयार करते हैं, जो समझ को मजबूत बनाता है।
AI-जनरेटेड नोट्स में यह प्रक्रिया गायब हो जाती है, जिससे टॉपिक याद नहीं रहता।
इतना ही नहीं, इससे बच्चों की लिखने की आदत भी कमजोर हो जाती है, जिसका असर परीक्षा में साफ दिखता है।
इन जगहों पर कर सकते हैं AI का सही उपयोग
विशेषज्ञों के अनुसार AI का इस्तेमाल पूरी तरह बंद नहीं करना चाहिए, बल्कि सीमित और रणनीतिक रूप से उपयोग करना चाहिए—
- किताब पढ़ने के बाद भी कोई टॉपिक न समझ आए, तो स्पष्टता के लिए AI से पूछें।
- गणित, भौतिकी या रसायन विज्ञान के कठिन सवालों का स्टेप-बाय-स्टेप समाधान AI से ले सकते हैं।
- किसी टॉपिक के रिवीजन नोट्स AI से बनवाएं, लेकिन बाद में उन्हें अपने शब्दों में जरूर लिखें।
- भारी टेक्स्ट वाले नोट्स को AI से विजुअल समरी में बदलवा सकते हैं, क्योंकि विजुअल बेहतर याद रहते हैं।
- बोर्ड परीक्षाओं के लिए AI से प्रैक्टिस प्रश्नपत्र बनवाकर अपनी तैयारी जांच सकते हैं।
(लेकिन उत्तरों को AI से नहीं, अपने नोट्स से मिलाएं।)
प्रिंसिपल क्या कहते हैं?
दिल्ली के माउंट आबू पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. ज्योति अरोड़ा का कहना है—
“AI सीखने में मदद कर सकता है, बशर्ते इसे शॉर्टकट की तरह न इस्तेमाल किया जाए। हम बच्चों को बताते हैं कि AI का सही उपयोग क्या है और किन जगहों पर यह नुकसान पहुंचा सकता है।”
गाजियाबाद स्थित जयपुरिया स्कूल की प्रिंसिपल शालिनी नांबियार कहती हैं—
“बच्चों को AI के फायदे और खतरे दोनों पता होने चाहिए। हम असेंबली में छात्रों को बताते हैं कि किस हद तक AI का उपयोग सही है और कब यह उनकी सोचने की क्षमता पर असर डालता है।”