Friday, November 7

लंबे रिश्तों में क्यों कम हो जाती है यौन इच्छा?

मनोवैज्ञानिक कारण और रिश्ते को फिर से जीवंत करने के उपाय

लंबे समय से साथ रह रहे दंपतियों में यौन इच्छा (Sexual Desire) का धीरे-धीरे कम होना एक सामान्य घटना है। इसे अक्सर लोग “प्यार खत्म हो जाना” मान लेते हैं, जबकि मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि यह वास्तव में एक स्वाभाविक हार्मोनल और भावनात्मक परिवर्तन है।

रिश्ते की शुरुआत में शरीर में डोपामिन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन तेजी से सक्रिय होते हैं — जो आकर्षण, उत्तेजना और जुनून पैदा करते हैं। परंतु जैसे-जैसे रिश्ता गहराता है, शरीर में ऑक्सिटोसिन नामक “बॉन्डिंग हार्मोन” बढ़ने लगता है। यह भावनात्मक नज़दीकी को तो मज़बूत करता है, लेकिन समय के साथ यौन आकर्षण की तीव्रता को कम भी कर देता है।
सीधे शब्दों में कहें तो — प्यार गहराता है, पर वासना स्थिर हो जाती है।

क्या इसका असर महिलाओं पर ज़्यादा होता है?

अध्ययनों से पता चलता है कि यह बदलाव महिलाओं में अधिक दिखाई देता है। इसका कारण केवल जैविक नहीं, बल्कि सामाजिक और मानसिक भी है।
लगातार काम का दबाव, शरीर को लेकर असुरक्षा, पुराने नकारात्मक अनुभव, घर और बच्चों की ज़िम्मेदारी — ये सभी कारक महिला की यौन इच्छा को प्रभावित करते हैं।

इसके अलावा, कई रिश्तों में महिला की संतुष्टि को उतनी अहमियत नहीं दी जाती, जिससे धीरे-धीरे भावनात्मक दूरी और असंतोष बढ़ने लगता है।

बात कीजिए — चुप्पी नहीं समाधान

रिश्ते में यौन जीवन कम होना समस्या नहीं है, लेकिन इस पर बातचीत न करना ज़रूर समस्या बन सकता है।
मनोवैज्ञानिक सलाह देते हैं कि अपने पार्टनर से खुलकर, बिना शर्म या डर के, अपनी भावनाओं और इच्छाओं पर चर्चा करनी चाहिए।
ईमानदार संवाद भावनात्मक सुरक्षा पैदा करता है, और यही सुरक्षा आगे चलकर शारीरिक नज़दीकी को भी पुनः जगाती है।

सेक्स ही नहीं, अपनापन भी ज़रूरी है

रिश्ता केवल शारीरिक संबंधों पर नहीं, बल्कि दैनिक छोटे-छोटे प्रेमपूर्ण स्पर्शों पर भी टिका होता है — जैसे गले लगना, हाथ पकड़ना, हल्का चुंबन या स्नेहभरी बातें।
कई बार जोड़े इन सामान्य अभिव्यक्तियों को छोड़ देते हैं, और फिर अचानक ‘स्पार्क’ की उम्मीद करते हैं — जबकि नियमित स्नेह ही उस स्पार्क को जीवित रखता है।

‘बाद का पल’ भी मायने रखता है

अध्ययन बताते हैं कि ‘पोस्ट-इंटीमेसी अफेक्शन’ यानी सेक्स के बाद एक-दूसरे के साथ समय बिताना — जैसे कडल करना, बातें करना, या बस पास लेटना — रिश्ते की संतुष्टि को कई गुना बढ़ा देता है।
यह “बाद का अपनापन” महिलाओं में विश्वास, आराम और भावनात्मक जुड़ाव को गहरा बनाता है।

निष्कर्ष — प्यार नहीं घटता, बस रूप बदलता है

यौन इच्छा में कमी को रिश्ते की कमजोरी नहीं, बल्कि उसकी परिपक्वता का संकेत मानना चाहिए।
जब प्यार परिपक्व होता है, तो जुनून स्थिर हो जाता है, पर स्नेह, सम्मान और समझ रिश्ते को और गहराई देते हैं।
यदि दोनों साथी मिलकर बातचीत करें, छोटे इशारों में प्यार जताएँ, और मानसिक रूप से जुड़े रहें —
तो जुनून कभी पूरी तरह खत्म नहीं होता, बस नया रूप ले लेता है।

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