
भोपाल। राजधानी में सुरक्षा एजेंसियों को चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दो संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों ने फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया और अब दोनों रहस्यमय तरीके से लापता हो गए हैं। इंटेलिजेंस एजेंसी की ओर से पासपोर्ट सत्यापन के लिए पत्र भेजे जाने पर यह पूरा मामला उजागर हुआ। कोलार पुलिस ने दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी और पासपोर्ट अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कर उनकी खोज शुरू कर दी है।
फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाकर लिया भारतीय पासपोर्ट
जानकारी के अनुसार संदिग्ध युवक मोहम्मद रिहान अंसारी और मोहम्मद मकबूल अंसारी, पिता सफकूल हक अंसारी, ने भोपाल के कोलार रोड स्थित राजवैद्य कॉलोनी का पता इस्तेमाल करके भारतीय पासपोर्ट बनवाया था।
पासपोर्ट कार्यालय को दस्तावेज़ों पर संदेह हुआ तो उसने इंटेलिजेंस को सूचना दी। इसके बाद इंटेलिजेंस की ओर से कोलार क्षेत्र की सहायक पुलिस आयुक्त अंजली रघुवंशी को जांच का निर्देश भेजा गया।
2014 का रेंट एग्रीमेंट, आधार–वोटर कार्ड भी फर्जी निकले
जांच में पता चला कि दोनों आरोपितों ने 7 अगस्त 2014 को राजवैद्य कॉलोनी निवासी लक्ष्मी ठाकुर के नाम पर किरायानामा तैयार करवाया था। इसी आधार पर उन्होंने आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ बनवा लिए और फिर पासपोर्ट के लिए आवेदन किया।
सबसे चौंकाने वाली बात यह कि मकान मालिक ने स्पष्ट कहा कि दोनों युवक कभी भी उस मकान में रहे ही नहीं। रेंट एग्रीमेंट सिर्फ कागजों में बनाया गया था।
लोकेशन अज्ञात, पासपोर्ट मिलने के बाद से दोनों फरार
एफआईआर दर्ज होने के बाद जब पुलिस ने उनकी वर्तमान लोकेशन पता करने की कोशिश की, तो पता चला कि पासपोर्ट मिलने के बाद से दोनों कहीं गायब हो गए हैं।
पुलिस उपायुक्त मयूर खंडेलवाल ने कहा—
“दोनों आरोपितों का पता लगाया जा रहा है, विभिन्न एजेंसियों के साथ मिलकर तलाश जारी है।”
सुरक्षा एजेंसियों में हलचल, समानांतर में एक और मामला
इसी बीच, एक अलग मामले में एक पाकिस्तानी महिला ने अपने भारतीय पति को वापस लाने हेतु मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
इन दोनों घटनाओं ने सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान खास तौर पर विदेशी नागरिकों के दस्तावेज़ों की जांच की ओर खींचा है।
निष्कर्ष
फर्जी दस्तावेज़ों के सहारे भारतीय पासपोर्ट हासिल करने की यह घटना न केवल सुरक्षा खामियों की तरफ इशारा करती है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि ऐसे मामले और कितने अनदेखे रह गए होंगे। फिलहाल पुलिस और इंटेलिजेंस मिलकर दोनों संदिग्धों की तलाश में जुटी हैं, ताकि इस पूरे नेटवर्क की सच्चाई सामने लाई जा सके।