Wednesday, December 10

रूस में मिलीं भारतीय डिफेंस कंपनियां, आत्मनिर्भर हथियार निर्माण की राह पर बड़ा कदम?

नई दिल्ली: भारत की प्रमुख हथियार बनाने वाली कंपनियों के अधिकारी हाल ही में रूस में मिले हैं। इस मुलाकात में अडानी डिफेंस, भारत फोर्ज समेत कई बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल रहे। यह पहली बार है जब भारतीय डिफेंस उद्योग के शीर्ष अधिकारी रूस गए हैं, वह भी यूक्रेन संकट के बाद।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत दशकों से रूस से हथियार खरीदता आया है, लेकिन अब वह इस रिश्ते को सहयोग और सह-निर्माण की दिशा में बदलना चाहता है। लक्ष्य है कि भारत आत्मनिर्भर रक्षा निर्माता बने और रूस के साथ मिलकर ऐसे हथियार बनाए जाएं, जो भारतीय सेना की अपनी जरूरतों को पूरा कर सकें।

हालांकि, अडानी डिफेंस और भारत फोर्ज ने इस रिपोर्ट का खंडन किया है।

पश्चिमी देशों की चिंता

यदि भारत रूस के साथ मिलकर हथियार निर्माण की योजना बनाता है, तो पश्चिमी देशों में नाराजगी हो सकती है। भारत दुनिया के सबसे बड़े हथियार खरीदारों में से एक है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के रूस के साथ गहरे रक्षा संबंध और भारतीय सेना में करीब 36% रूसी हथियारों के इस्तेमाल के कारण, पश्चिमी तकनीक के हस्तांतरण में बाधा आ सकती है।

मुलाकात कब और कैसे हुई

भारतीय डिफेंस कंपनियों के अधिकारी रूस में 29-30 अक्टूबर को मॉस्को में मिले। यह बैठक रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार के नेतृत्व में भारतीय रक्षा-औद्योगिक प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान हुई। बैठक का एक उद्देश्य रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के 4-5 दिसंबर भारत दौरे की तैयारी करना भी था। इस बैठक में टाटा संस, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, कल्याणी ग्रुप और ड्रोन व AI आधारित मिलिट्री स्टार्टअप्स समेत 500 से अधिक कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल थे।

बैठक में टैंकों, हवाई जहाजों के पुर्जों और भविष्य में हेलीकॉप्टर निर्माण के लिए संयुक्त परियोजनाओं और अवसरों पर चर्चा हुई।

भारत-रूस डिफेंस संबंध

रूस आज भी भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है। दोनों देशों ने अपने डिफेंस पार्टनरशिप को ज्वाइंट रिसर्च, डेवलपमेंट और को-प्रोडक्शन की दिशा में आगे बढ़ाने पर सहमति जताई। इसका मुख्य उद्देश्य है भारत को आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र में स्थापित करना

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