
सर्दियों के मौसम में बाजार में हरी मटर की कीमतें आसमान छूने लगती हैं। शुरुआती दिनों में तो यह 100 रुपये किलो तक पहुंच जाती है। लेकिन अगर यही मटर आपके घर की छत या बालकनी में ताजी-ताजी उग जाए, तो स्वाद के साथ बचत भी हो सकती है। गार्डनिंग एक्सपर्ट शिरीष शर्मा ने मटर को सिर्फ 60 दिनों में फलियों तक पहुंचाने का आसान तरीका बताया है।
🌱 बीजों को अंकुरित करने का तरीका
मटर के बीज सीधे मिट्टी में डालने की बजाय पहले अंकुरित करना जरूरी है।
- सूखे मटर को 24 घंटे पानी में भिगो दें।
- इसके बाद इन्हें गीले टॉवल या रूमाल में लपेटकर एक एयरटाइट कंटेनर में 4 दिन के लिए रखें।
- नमी और सीमित हवा के कारण बीज जल्दी अंकुरित हो जाएंगे।
इससे बीज व्यर्थ नहीं जाते और मिट्टी में तेज़ी से बढ़ते हैं।
🌿 मिट्टी का मिश्रण – पोषण से भरपूर और हल्की
मटर के पौधों को भरपूर फलियां देने के लिए मिट्टी में पोषक तत्व और नमी दोनों जरूरी हैं।
इसके लिए तैयार करें यह मिश्रण:
- 50% गार्डन सॉइल
- 30% वर्मीकंपोस्ट या गोबर की खाद
- 20% नदी की रेत
- थोड़ा-सा नीम खली पाउडर, ताकि फंगस और कीड़े न लगें।
🪴 सही गमला और बुवाई तकनीक
मटर की जड़ें ज्यादा गहरी नहीं जातीं, इसलिए चौड़ा गमला या ट्रे इस्तेमाल करें।
- मिट्टी को समतल करें और हर 2-3 इंच पर छोटे गड्ढे बनाएं।
- प्रत्येक गड्ढे में एक-एक अंकुरित बीज डालें और ऊपर से हल्की मिट्टी बिखेर दें।
- बीज बोने के बाद स्प्रे से पानी छिड़कें ताकि बीज हिलें नहीं।
🌿 बेल को दें सहारा
लगभग 30 दिनों में पौधे 6–8 इंच तक बढ़ जाते हैं और बेल को सहारे की जरूरत पड़ती है।
- गमले के कोनों पर लकड़ी या बांस की डंडियाँ लगाएं।
- उनके चारों ओर रस्सी या जाल बांध दें ताकि बेल ऊपर चढ़ सके।
इससे पौधे को पर्याप्त धूप और हवा मिलती है और फलियां अधिक लगती हैं।
🕒 कटाई का सही समय
- 28 दिनों में फूल आने लगते हैं।
- 45 दिनों में फलियां बनने लगती हैं।
- 60 से 65 दिनों में फलियां पूरी तरह तैयार हो जाती हैं।
जब फली मोटी और भरी हुई दिखे, तो उसे तोड़ लें और अपने घर की छत से ही ताजे, मीठे मटर का आनंद उठाएं।
🍃 नतीजा
सर्दियों की ताजगी अब बाजार से नहीं, आपके अपने गार्डन से मिलेगी।
थोड़ा समय, थोड़ी देखभाल और दो महीने की मेहनत — और आपके घर की छत हरियाली से भर जाएगी।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी यूट्यूब चैनल और इंटरनेट स्रोतों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना है। एनबीटी इसकी सटीकता या असर की जिम्मेदारी नहीं लेता।