
जयपुर। राजधानी जयपुर में हाल के दिनों में तेंदुओं की रिहायशी इलाकों में बढ़ती आवाजाही ने लोगों की नींद उड़ा दी है। दुर्गापुरा की VVIP कॉलोनी से लेकर सिविल लाइंस और हाल ही में बजाज नगर की एजी कॉलोनी तक, तेंदुओं के घरों में घुसने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। इन घटनाओं को देखते हुए राजस्थान वन विभाग ने अब बड़े कदम की तैयारी शुरू कर दी है।
वन विभाग पायलट प्रोजेक्ट के तहत चुनिंदा तेंदुओं को रेडियो कॉलर से लैस करेगा। GPS आधारित ये कॉलर तेंदुओं की हरकतों पर लगातार नजर रखेंगे और अधिकारियों को उनकी गतिविधियों की जानकारी देंगे। मुख्य वन्यजीव वार्डन अरुण प्रसाद ने बताया कि योजना के तहत दो से तीन तेंदुओं को कॉलर लगाया जाएगा। इसका उद्देश्य उन तेंदुओं पर निगरानी रखना है जो पार्क के किनारों या रिहायशी इलाकों में घूमते हैं और लोगों से टकराने की संभावना रखते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम राजस्थान के लिए ऐतिहासिक साबित होगा। महाराष्ट्र और गुजरात के बाद राजस्थान तीसरा राज्य बन जाएगा जो संरचित वन्यजीव प्रबंधन योजना के तहत तेंदुओं की निगरानी GPS कॉलर से करेगा।
झालाना जंगल में लगभग 45 तेंदुए पाए जाते हैं। अधिकारियों का कहना है कि पहले कॉलर बड़े नर और युवा तेंदुओं पर लगाए जाएंगे, जिनका इलाका ज्यादा विस्तृत है। इस पहल में महाराष्ट्र के जुन्नार क्षेत्र के हालिया रिसर्च से मदद ली जा सकती है, जहां पहले नर तेंदुए को कैमरा कॉलर पहनाकर उसकी हरकतों का रिकॉर्ड किया गया था।
वन्यजीव विशेषज्ञ जयदेव सिंह ने कहा, “GPS और कैमरा कॉलर की मदद से तेंदुओं के व्यवहार और गतिविधियों पर दुर्लभ और महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी। इससे तेंदुओं और इंसानों के बीच संभावित टकराव को भी कम किया जा सकेगा।”
बता दें कि तेंदुआ और बाघ दोनों बिग कैट फैमिली के सदस्य हैं। इनके पूर्वज लगभग 6 मिलियन साल पहले एक समान विकसित हुए थे, और वे पैंथेरा जीनस (Genus Panthera) से संबंधित हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आधुनिक तकनीक की मदद से इन जंगली शिकारियों के व्यवहार को समझना अब और आसान होगा।
जयपुर के नागरिकों के लिए यह राहत की खबर है कि वन विभाग की यह योजना न केवल तेंदुओं पर नजर रखेगी, बल्कि उनके सुरक्षित आवास और शहरी इलाकों में सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
