
अंकारा। तुर्की की एर्दोगन सरकार रूस के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम से किनारा कर अमेरिका से F-35 फाइटर जेट खरीदने की दिशा में बढ़ रही है। अमेरिकी राजदूत टॉम बराक ने बताया कि तुर्की ने S-400 के ऑपरेशनल इश्यू को हल कर लिया है और जल्द ही अमेरिका के साथ नई डील को अंतिम रूप देगा।
S-400 हटने से अमेरिका के साथ संबंध सुधरेंगे
तुर्की ने करीब एक दशक पहले रूस से S-400 सिस्टम खरीदा था। साल 2019 में इसी वजह से तुर्की F-35 प्रोग्राम से बाहर हो गया था। अमेरिका का दावा था कि S-400, F-35 की क्षमता को कमजोर कर सकता है। अब S-400 को हटाने से नाटो में दोनों देशों के बीच तनाव कम होने की संभावना है और तुर्की को अमेरिका के साथ रिश्ते सुधारने का मौका मिलेगा।
तुर्की को F-35 से फायदे
- अमेरिका के साथ रणनीतिक और सैन्य संबंध मजबूत होंगे।
- F-35 की स्टील्थ तकनीक से तुर्की को अपने फिफ्थ-जेनरेशन लड़ाकू विमान विकसित करने में मदद मिलेगी।
- मध्य पूर्व में इजरायल के साथ टक्कर बढ़ सकती है, क्योंकि F-35 तकनीक से तुर्की इजरायल को करारा जवाब दे सकेगा।
भारत और इजरायल के लिए खतरा
- तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान को किलर ड्रोन भेजे थे, जिन्हें भारत ने S-400 और अन्य एयर डिफेंस सिस्टम से नष्ट किया।
- खबरें हैं कि तुर्की S-400 सिस्टम पाकिस्तान को दे सकता है, जिससे भारत के सुरक्षा संतुलन पर असर पड़ सकता है।
- अगर तुर्की F-35 तकनीक की नकल कर अपने फिफ्थ-जेनरेशन फाइटर जेट विकसित कर लेता है, तो वह इसे पाकिस्तान को दे सकता है। भारत के पास फिलहाल कोई फिफ्थ-जेनरेशन फाइटर जेट नहीं है, जिससे उसकी तकनीकी और रणनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है।
तुर्की का रणनीतिक खेल
तुर्की ने रूस के साथ तेल और गैस का व्यापार जारी रखते हुए अमेरिका के साथ अपने सैन्य रिश्तों को सुधारने का रणनीतिक कदम उठाया है। यह डील न केवल नाटो में उसकी स्थिति को मजबूत करेगी, बल्कि भारत और इजरायल के लिए नए सुरक्षा और रणनीतिक चिंताओं को जन्म दे सकती है।