
पुणे। महाराष्ट्र में नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा ने सबसे ज्यादा अध्यक्ष और अन्य पद जीतकर सभी दलों को पीछे छोड़ दिया है। पार्टी ने इसे जनता द्वारा विकास के एजेंडे के पक्ष में मतदान करने और फेक नैरेटिव को खारिज करने के रूप में देखा है।
राज्य की 57 स्थानीय निकायों की सीटों का भविष्य 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा। इनमें से 39 सीटें महायुति गठबंधन ने, 17 एमवीए गठबंधन ने और एक अन्य पार्टी ने जीती हैं। ये वही सीटें हैं जहाँ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों के लिए संयुक्त कोटा 50% से अधिक है।
कोटा उल्लंघन को लेकर दाखिल कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर को आदेश दिया कि इन 57 सीटों पर चुनाव उसके अंतिम निर्णय के अधीन होंगे। इस फैसले का असर नगर निकायों में पार्षद पदों के परिणामों पर भी पड़ेगा।
महायुति गठबंधन की स्थिति
महायुति के 39 जीतों में भाजपा के 30, शिवसेना के 5 और एनसीपी के 4 पद शामिल हैं। पार्टी को इस स्पष्ट बढ़त के बावजूद सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना होगा।
एमवीए का प्रदर्शन
एमवीए गठबंधन ने 17 सीटें जीती हैं। इसमें कांग्रेस ने 11, उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने 2 और शरद पवार की एनसीपी ने 4 सीटें हासिल की हैं। कांग्रेस ने कहा कि हमारी दो-पांचवीं सीटें जांच के दायरे में हैं, लेकिन यह जनता के जनादेश को दर्शाती हैं।
जिला स्तर का वितरण
महायुति की कुल जीत में से 50% कोटा उल्लंघन वाली 39 सीटें उसकी कुल जीत का लगभग 18.8% हैं, जबकि एमवीए के लिए ये 17 सीटें उनकी कुल जीत का लगभग 38.6% हिस्सा हैं। इन 40 नगर परिषदों में से 8 नागपुर, 7 चंद्रपुर और 5 नासिक जिले में हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, “जनमत स्पष्ट रूप से महायुति के पक्ष में है, लेकिन हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करेंगे।”
राज्य चुनाव आयोग ने भी स्पष्ट किया है कि परिणाम घोषित हो चुके हैं, लेकिन अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही निर्भर करेगा।