Wednesday, December 17

‘धुरंधर’ की सफलता के बीच अक्षय खन्ना की मां गीतांजलि की कहानी, एक मजबूत महिला और सिंगल पेरेंट की संघर्षगाथा

मुंबई। फिल्म धुरंधर में शानदार अभिनय के बाद अभिनेता अक्षय खन्ना एक बार फिर चर्चा में हैं। उनकी प्रोफेशनल सफलता के साथ-साथ उनकी निजी जिंदगी से जुड़े किस्सों में भी लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई है। इसी कड़ी में सामने आती है उनकी मां गीतांजलि तलेयारखान की कहानी—एक ऐसी महिला, जिन्होंने ग्लैमर की दुनिया से दूरी बनाकर अपने बच्चों को अकेले दम पर पाला।

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गीतांजलि तलेयारखान एक प्रतिष्ठित पारसी परिवार से ताल्लुक रखती थीं और अपने दौर की जानी-मानी मॉडल हुआ करती थीं। वे अपने परिवार की पहली महिला थीं, जिन्होंने ग्लैमर की दुनिया में कदम रखा। वर्ष 1971 में उन्होंने अभिनेता विनोद खन्ना से विवाह किया। इस शादी से उन्हें दो बेटे हुए—राहुल खन्ना और अक्षय खन्ना

70 और 80 के दशक में जब विनोद खन्ना बॉलीवुड के शिखर पर थे, तभी उन्होंने ऐसा फैसला लिया जिसने उनके परिवार की दिशा बदल दी। 1982 में करियर के पीक पर उन्होंने फिल्मी दुनिया छोड़ दी और अमेरिका में ओशो के आश्रम से जुड़ गए। इस अचानक लिए गए आध्यात्मिक निर्णय ने उनकी वैवाहिक और पारिवारिक जिंदगी को गहरे संकट में डाल दिया।

पति के आश्रम चले जाने के बाद गीतांजलि ने दोनों बेटों की जिम्मेदारी एक सिंगल पेरेंट के रूप में उठाई। बच्चों के बड़े होने के साथ पिता की गैर-मौजूदगी के सवाल और सामाजिक दबाव उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहे। तीन साल तक हालात संभालने की कोशिश के बाद गीतांजलि ने विनोद खन्ना के सामने परिवार और संन्यास के बीच एक विकल्प चुनने का आग्रह किया। जब कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला, तो उन्होंने तलाक का फैसला लिया। 1985 में दोनों कानूनी रूप से अलग हो गए।

विनोद खन्ना बाद में भारत लौटे और अपने करियर को फिर से शुरू किया, लेकिन तब तक पहली शादी पूरी तरह टूट चुकी थी। गीतांजलि ने इसके बाद फिल्मी चकाचौंध से पूरी तरह दूरी बना ली और सादगी भरा जीवन चुना। उन्होंने अपने बेटों को संस्कार, शिक्षा और आत्मनिर्भरता के साथ आगे बढ़ाया।

अक्षय खन्ना ने एक इंटरव्यू में पिता के संन्यास को लेकर कहा था कि बचपन में उस फैसले को समझ पाना उनके लिए मुश्किल था, लेकिन उम्र के साथ उन्होंने उसे एक जीवन बदलने वाला निर्णय मानकर स्वीकार किया।

अक्षय खन्ना ने 2017 में पिता विनोद खन्ना को खो दिया और इसके ठीक एक साल बाद, 2018 में उनकी मां गीतांजलि का भी निधन हो गया। चुपचाप, सादगी से जीवन जीने वाली गीतांजलि भले ही लाइमलाइट से दूर रहीं, लेकिन उनका संघर्ष, त्याग और आत्मबल आज भी एक मिसाल है।

आज ‘धुरंधर’ की सफलता के बीच जब अक्षय खन्ना अपने करियर के नए शिखर पर हैं, तो उनकी इस उड़ान के पीछे एक मां की निस्वार्थ तपस्या और मजबूत इरादों की कहानी भी उतनी ही अहम है।

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