
नई दिल्ली : सर्दियों की दस्तक के साथ एक बार फिर दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में यूनिफॉर्म को लेकर विवाद गहराने लगा है। महंगी विंटर यूनिफॉर्म, स्कूलों की मनमानी और सीमित वेंडर्स की बाध्यता से तंग पैरेंट्स लगातार शिकायतें कर रहे हैं। शिक्षा निदेशालय अप्रैल 2025 में ही सख्त निर्देश जारी कर चुका है, लेकिन ज्यादातर स्कूल नियमों का पालन करते नज़र नहीं आ रहे।
वेंडर्स की गलत लिस्ट और बंद फोन नंबरों से पैरेंट्स बेहाल
मॉडल टाउन स्थित सृजन स्कूल के पैरेंट्स ने शिक्षा निदेशालय को पत्र लिखकर बताया कि स्कूल ने 5 वेंडर्स की लिस्ट तो जारी की, पर उनके फोन नंबर या तो बंद हैं या फिर वेंडर्स के पास स्टॉक ही नहीं है। पैरेंट्स असोसिएशन के प्रेजिडेंट दक्ष आनंद का कहना है, “अभिभावक मजबूरन स्कूल से ही महंगी यूनिफॉर्म खरीदने को बाध्य हो रहे हैं।”
नितिन गुप्ता, जिनके बच्चे उसी स्कूल में पढ़ते हैं, बताते हैं कि इकलौता वेंडर जो यूनिफॉर्म देने को तैयार है, वह भी स्कूल से खरीदने की सलाह दे रहा है। ऊपर से स्कूल ने इस बार यूनिफॉर्म का डिजाइन बदल दिया है, जिससे वेंडर्स को नए डिजाइन की जानकारी ही नहीं।
यूनिफॉर्म डिजाइन में बार-बार बदलाव से परेशानी
दिल्ली पैरेंट्स असोसिएशन की प्रेजिडेंट अपराजिता गौतम के अनुसार, “स्कूल बिना वजह यूनिफॉर्म बदल रहे हैं, जबकि नियम है कि यूनिफॉर्म तीन साल से पहले नहीं बदली जा सकती।”
नर्सरी, केजी, प्राइमरी और मिडिल सेक्शन— हर क्लास के लिए अलग यूनिफॉर्म होने से अभिभावकों का खर्च कई गुना बढ़ जाता है।
कई स्कूलों ने वेंडर्स की सूची वेबसाइट पर डाली ही नहीं
कई पैरेंट्स की शिकायत है कि स्कूल अपनी वेबसाइट पर पांच वेंडर्स की लिस्ट और यूनिफॉर्म का पूरा ब्यौरा नहीं दे रहे। ईस्ट दिल्ली के एक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे के पिता अतुल रहेजा बताते हैं, “हमारे स्कूल में एक ही वेंडर का नाम है, जो खुद स्कूल से ही यूनिफॉर्म बेच रहा है। एक सेट की कीमत 4500 रुपये तक पहुंच गई है।”
नियमों के बावजूद मनमानी— निरीक्षण न होने से स्कूल बेखौफ
शिक्षा निदेशालय ने साफ निर्देश दिया है कि—
- स्कूल किसी भी अभिभावक को एक खास दुकान से यूनिफॉर्म या किताबें खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकते
- हर स्कूल को कम से कम 5 वेंडर्स की लिस्ट वेबसाइट पर देनी जरूरी है
- किसी भी यूनिफॉर्म का डिजाइन कम से कम 3 साल तक नहीं बदला जा सकता
लेकिन शिकायतों पर कार्रवाई न होने के कारण स्कूलों में मनमानी जारी है।
शिकायत कहां करें?
शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि अगर कोई स्कूल नियमों की अवहेलना करता है, तो अभिभावक सीधे संबंधित जिले के DDE (Deputy Director of Education) को शिकायत दे सकते हैं।
ज़रूरत पड़ने पर दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 के तहत कार्रवाई और मान्यता रद्द तक का प्रावधान है।
5 अहम बातें जो हर अभिभावक को जाननी चाहिए
- आप किसी भी दुकान से यूनिफॉर्म और किताबें खरीद सकते हैं। स्कूल आपको किसी खास वेंडर से खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।
- स्कूलों को वेबसाइट पर किताबों, सामग्रियों और यूनिफॉर्म की पूरी लिस्ट के साथ 5 वेंडर्स के नाम देने अनिवार्य हैं।
- यूनिफॉर्म का डिजाइन तीन साल से पहले नहीं बदला जा सकता।
- कई स्कूल कॉमर्शल एक्टिविटी के चलते पैरेंट्स को विकल्प नहीं दे रहे, यह नियमों का उल्लंघन है।
- पैरेंट्स का कहना है कि निरीक्षण और कार्रवाई न होने से स्कूल बेपरवाह हैं।
निष्कर्ष:
महंगी यूनिफॉर्म और सीमित वेंडर्स की मजबूरी से परेशान अभिभावक सवाल उठा रहे हैं कि शिक्षा निदेशालय की चेतावनियों के बावजूद स्कूलों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती। अब देखना है कि शिकायतों की बढ़ती संख्या के बीच सरकार कितनी तेजी से कदम उठाती है।