
इंदौर। दिल्ली ब्लास्ट केस की पड़ताल के बीच अल फलाह यूनिवर्सिटी लगातार जांच एजेंसियों के रडार पर है। यूनिवर्सिटी के मालिक जवाद अहमद सिद्दीकी और उनके भाई की गिरफ्तारी के बाद अब परिवार की पैतृक संपत्ति पर भी कानूनी शिकंजा कस गया है। महू छावनी बोर्ड ने अवैध निर्माण को लेकर उनके पिता दिवंगत मौलाना हम्माद के नाम से नोटिस जारी करते हुए तीन दिन के भीतर निर्माण गिराने का निर्देश दिया है। तय समय में पालन न होने पर बुलडोजर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
दिल्ली धमाका केस से जुड़ रही कड़ियाँ
फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी, जिसे अल फलाह ग्रुप संचालित करता है, दिल्ली ब्लास्ट की जांच का मुख्य केंद्र बनी हुई है।
- मुख्य आरोपी डॉ. उमर अन नबी इसी यूनिवर्सिटी का छात्र था
- कई अन्य संदिग्धों के भी यूनिवर्सिटी से संबंध सामने आए हैं
इसी वजह से जांच एजेंसियां यूनिवर्सिटी के रिकॉर्ड, प्रशासनिक मंजूरियों और वित्तीय लेनदेन की गहन जांच कर रही हैं।
1996 से लंबित है मामला
छावनी अभियंता एच. एस. कलौया के मुताबिक—
- यह नोटिस महू के मुकेरी मोहल्ला स्थित प्रॉपर्टी नंबर 1371, सर्वे नंबर 245/1245 से संबंधित है
- 1996 और 1997 में भी कैंटोनमेंट्स एक्ट, 1924 के तहत अवैध निर्माण हटाने के नोटिस जारी किए गए थे
- बार–बार चेतावनी के बावजूद निर्माण नहीं हटाया गया
अब नए नोटिस में मौजूदा कब्जेदारों और कानूनी वारिसों को तीन दिन की अंतिम मोहलत दी गई है।
नहीं हटाया निर्माण तो सीधे बुलडोजर
छावनी बोर्ड ने साफ किया है कि:
- निर्देश का पालन न होने पर प्रशासन स्वयं अवैध ढांचा गिराएगा
- कार्रवाई की पूरी लागत संबंधित पक्ष से वसूली जाएगी
- यह कार्रवाई कैंटोनमेंट्स एक्ट के तहत बाध्यकारी है
भाई हमूद अहमद की भी गिरफ्तारी
दिल्ली ब्लास्ट केस के बीच जवाद अहमद सिद्दीकी के भाई हमूद सिद्दीकी को भी हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया है।
- उस पर 25 साल पुराने बड़े वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में कार्रवाई हुई
- महू पुलिस लंबे समय से उसकी तलाश में थी
जांच का दायरा बढ़ा
जवाद सिद्दीकी की गिरफ्तारी के बाद अब जांच एजेंसियां अल फलाह ग्रुप की:
- यूनिवर्सिटी मंजूरियों
- फंडिंग
- छात्रों के रिकॉर्ड
- हॉस्टल और प्रशासनिक गतिविधियों
की बारीकी से पड़ताल कर रही हैं। दिल्ली धमाके से जुड़े संबंधों के सामने आने के बाद मामले को बेहद संवेदनशील माना जा रहा है।