Wednesday, November 19

Success Story: छुट्टी पर गए थे त्रिपुरा, लौटे तो 1.5 करोड़ रुपये का कारोबार साथ लेकर

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के कोल्हापुर के मैकेनिकल इंजीनियर अद्वैत कुलकर्णी की जिंदगी की दिशा एक हॉलीडे ट्रिप ने हमेशा के लिए बदल दी। 2017 में त्रिपुरा के अनानास बागानों की हरियाली देखकर अद्वैत को फूड प्रोसेसिंग बिजनेस का आइडिया आया। इसके बाद उन्होंने लगातार 2017 से 2020 तक त्रिपुरा के कई गांवों का दौरा किया और वहां की अनानास की खेती और उत्पादन क्षमता का गहन अध्ययन किया।

हॉलीडे ट्रिप से बिजनेस आइडिया तक

त्रिपुरा के अनानास सस्ते, रसीले और बड़े पैमाने पर उपलब्ध थे, लेकिन परिवहन और प्रोसेसिंग की कमी के कारण किसानों के उत्पाद की बर्बादी हो रही थी। ‘क्वीन अनानास’ किस्म को 2015 में GI टैग मिल चुका था। अपने पिता और एक जानकार मित्र से मार्गदर्शन लेकर अद्वैत ने 2021 में कुमारघाट में बंद पड़ी यूनिट को पुनर्जीवित किया और ‘ननसेई फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स प्रोडक्ट्स इंडस्ट्री’ की स्थापना की।

किसानों को लाभ, बर्बादी पर रोक

अद्वैत की कंपनी स्थानीय किसानों से रोजाना लगभग 4,000 अनानास खरीदती है। इससे 60 किसानों को नियमित आय का अवसर मिला, जिनमें से 90% वंचित और जनजातीय समुदायों से आते हैं। यूनिट में 30 महिला श्रमिक कार्यरत हैं, जो अनानास को छीलकर, स्लाइस करके, चीनी सिरप और साइट्रिक एसिड के साथ डिब्बाबंद करती हैं। मासिक उत्पादन क्षमता 70,000-75,000 कैन है। उत्पादन दिल्ली, कोलकाता और गुवाहाटी जैसे बड़े शहरों में सप्लाई किया जाता है।

तीन वर्षों में 1.5 करोड़ का टर्नओवर

स्थापना के केवल तीन वर्षों में ननसेई ने 2023-24 में 1.5 करोड़ रुपये का वार्षिक टर्नओवर हासिल किया। कंपनी अगले वर्षों में यह आंकड़ा बढ़ाकर 8-10 करोड़ रुपये तक पहुंचाने की योजना बना रही है। उत्पादन में मुख्य योगदान ‘क्वीन’ और ‘केव’ अनानास किस्मों का है।

कृषि में नवाचार और विस्तार

अद्वैत ने त्रिपुरा में मक्का की खेती को बढ़ावा दिया और स्थानीय किसानों को मार्गदर्शन प्रदान किया। राज्य सरकार के सहयोग से 30-40 हेक्टेयर भूमि पर मक्का की खेती हो रही है। इसके अलावा ‘ननसेई’ अब डिब्बाबंद बेबी कॉर्न का उत्पादन भी कर रहा है और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत किसानों को बीज और प्रशिक्षण प्रदान करने की योजना बना रहा है।

नतीजा: अद्वैत कुलकर्णी ने केवल अपना व्यवसाय ही नहीं बनाया, बल्कि त्रिपुरा की कृषि अर्थव्यवस्था में नवाचार और स्थिरता लाने का काम भी किया।

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