डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और कदम: समाचार पत्रों के डिजिटलीकरण की ज़रूरत

 

✍ लेखक – विनायक अशोक लुनिया
📰 पत्रकार | 🌿 न्यूरोपैथी विशेषज्ञ | 🤲 हीलर
⚖️ विधि सलाहकार | 🎬 निर्माता-निर्देशक | 🎯 प्रेरणादायक काउंसलर


भारत जैसे विशाल, विविध और उभरते राष्ट्र में, जब हम ‘डिजिटल इंडिया’ की ओर तेज़ी से बढ़ रहे हैं, तो यह आवश्यक है कि देश की मीडिया और समाचार संस्थाएं भी इस परिवर्तन का हिस्सा बनें। विशेषकर प्रिंट मीडिया के डिजिटलीकरण की दिशा में अब ठोस और दूरदर्शी नीति बनाना समय की माँग है।

मीडिया हाउसेज़ को डिजिटल बनाने की आवश्यकता

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने हाल ही में मुंबई में WAVES सम्मेलन (विश्व ऑडियो विजुअल और मनोरंजन शिखर सम्मेलन) का उद्घाटन कर यह स्पष्ट संकेत दिया कि भारत का भविष्य मीडिया और डिजिटल मनोरंजन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं समेटे हुए है। इस अवसर पर देशभर से मीडिया व मनोरंजन से जुड़े प्रतिनिधियों की उपस्थिति इस बात को प्रमाणित करती है कि हम एक नए युग की दहलीज पर खड़े हैं।

अब आवश्यकता है कि इस डिजिटल परिवर्तन की लहर को देश के लाखों छोटे-बड़े मीडिया हाउसों तक पहुँचाया जाए, जो वर्षों से प्रिंट संस्करणों के माध्यम से देश की चेतना को दिशा देने का काम कर रहे हैं।

पर्यावरणीय दृष्टिकोण: कागज मुक्त समाचार

प्रिंट मीडिया की सबसे बड़ी सीमाओं में से एक है – कागज़ का अत्यधिक उपयोग, जिसके निर्माण में पेड़ों की कटाई और पर्यावरण को व्यापक क्षति पहुँचती है। आज जब हम ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु संकट से जूझ रहे हैं, ऐसे में समाचार पत्रों का डिजिटल रूप में संचालन हरित भारत के निर्माण में सहयोगी हो सकता है।

आर्थिक लाभ: लागत में कमी, पहुँच में वृद्धि

प्रिंट मीडिया की छपाई में हर रोज़ उच्च लागत, वितरण चुनौतियाँ और सीमित पहुँच जैसी समस्याएँ आती हैं। डिजिटलीकरण के माध्यम से समाचार पत्रों को:

  • कम लागत में प्रकाशित किया जा सकता है
  • देश और विदेश के किसी भी कोने तक एक क्लिक में पहुँचाया जा सकता है
  • और पाठकों को तेज़, सुलभ और इंटरएक्टिव समाचार अनुभव मिल सकता है।

यह न सिर्फ मीडिया हाउसेज़ को आर्थिक रूप से राहत देगा, बल्कि पाठकों को भी कम लागत में, बिना विलंब के खबरें उपलब्ध कराएगा।

सरकार से अपेक्षा: ठोस नीतिगत पहल

हमारी सरकार ने ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे दूरदर्शी अभियानों को प्रभावी रूप से लागू किया है। अब समय आ गया है कि सरकार:

  • प्रिंट मीडिया को डिजिटल रूप में संचालित करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करे
  • डिजिटल अखबारों को पंजीकरण, विज्ञापन और वितरण में समान अधिकार और सुविधा प्रदान करे
  • और छोटे समाचार संस्थानों को डिजिटल परिवर्तन हेतु तकनीकी व आर्थिक सहायता भी दे

प्रचार-प्रसार में गति और पारदर्शिता

डिजिटलीकरण के बाद समाचारों का प्रसार अधिक तीव्र, प्रमाणिक और पारदर्शी हो जाएगा। साथ ही, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर डेटा एनालिटिक्स, यूज़र इंटरफेस और फीडबैक सिस्टम जैसे तकनीकी टूल्स मीडिया को और अधिक प्रभावी, विश्वसनीय और जवाबदेह बना सकते हैं।


निष्कर्ष: डिजिटल मीडिया – आज की आवश्यकता, कल की अनिवार्यता

आज जब भारत तकनीक, स्टार्टअप्स, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में विश्व का नेतृत्व कर रहा है, तो मीडिया संस्थानों को भी इसी राह पर आगे बढ़ाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और पारदर्शिता – तीनों ही दृष्टिकोणों से डिजिटल मीडिया न केवल उपयुक्त है, बल्कि अनिवार्य भी।

अब यह निर्णय प्रधानमंत्री मोदी जी जैसे दूरदर्शी नेतृत्व की पहल पर निर्भर करता है कि वे इस दिशा में एक नयी नीति, एक नयी क्रांति का आग़ाज़ करें।


लेखक परिचय

विनायक अशोक लुनिया
एक बहुआयामी व्यक्तित्व – पत्रकार, समाजसेवी, विधि सलाहकार, हीलर और निर्माता-निर्देशक।
युवाओं और राष्ट्र निर्माण से जुड़े विषयों पर लेखन, सलाह और मार्गदर्शन में सक्रिय।


 


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