
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के जंगलों में इस समय लगभग 150 पाकिस्तानी आतंकी छिपे हुए हैं, जो किसी बड़े हमले का इंतजार कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि पाकिस्तान ने अपनी आतंकवाद की रणनीति बदल दी है। अब आतंकवादी रोजमर्रा की छिटपुट घटनाओं से परहेज कर रहे हैं और केवल बड़े, भड़काऊ हमलों के लिए ऑर्डर का इंतजार कर रहे हैं।
2025 में भारत दो बड़े आतंकवादी हमलों का शिकार हुआ। अप्रैल में बैसरन घाटी, पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों ने हिंदू पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें 26 लोगों की जान गई। वहीं, नवंबर में लाल किले के पास एक कश्मीरी डॉक्टर ने फिदायीन हमला किया, जिसमें कम से कम 15 लोगों की जान चली गई।
एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “कश्मीर में सुरक्षा और स्थिरता का मिथक अब टूट चुका है। स्थानीय आतंकियों की संख्या अब सिंगल डिजिट में रह गई है, लेकिन विदेशी आतंकियों की मौजूदगी बड़ी चुनौती है। ये आतंकी जंगलों से ही ऑपरेशन चला रहे हैं और अब लोकल नेटवर्क पर भरोसा नहीं करते।”
अधिकारियों के अनुसार, आतंकवादी अब सर्वाइवल किट्स लेकर चलते हैं और सिर्फ जरूरी सामान लेने के लिए स्थानीय घरों या दुकानों पर जाते हैं, और इसके लिए पैसे भी देते हैं।
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने चेतावनी दी, “वे बड़े हमले के लिए पाकिस्तान से आदेश का इंतजार कर रहे हैं। पिछली घटनाओं जैसे सोनमर्ग, रियासी और बैसरन हमलों में यही देखा गया है। उनका मुख्य निशाना गैर-मुस्लिम, खासकर हिंदू समुदाय हो सकता है, क्योंकि ऐसे हमले का ज्यादा प्रभाव और ध्यान खिंचता है।”
एक और अधिकारी ने कहा, “आतंकियों की नई रणनीति है — शांत रहो, लंबे समय तक छिपकर रहो और फिर किसी प्रभावशाली और भड़काऊ हमले को अंजाम दो। लाल किले जैसा हमला इस रणनीति का उदाहरण है, जिसमें पढ़े-लिखे कट्टरपंथी आतंकी इस्तेमाल हुए हैं।”
सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं और जम्मू-कश्मीर में किसी भी बड़े हमले को रोकने के लिए चौकसी बढ़ा दी गई है। आम नागरिकों से भी आगाह किया गया है कि वे संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत पुलिस या सुरक्षा एजेंसियों को दें।