
हैदराबाद: तेलंगाना में हाल ही में कई माओवादी कैडरों ने सरेंडर किया। सरेंडर करने वाले एक माओवादी ने 13 साल बाद एक रहस्यमयी डॉक्टर के बारे में जानकारी दी, जिसने नक्सल प्रभावित इलाकों में आदिवासियों और माओवादियों की मुश्किल हालात में मदद की। यह डॉक्टर डॉ. रफीक उर्फ मंदीप पंजाब से MBBS करने वाले हैं और माओवादी संगठन में शामिल होकर छत्तीसगढ़ के बस्तर, दंडकारण्य में मेडिकल सिस्टम स्थापित करने में सक्रिय रहे।
जंगल में इमरजेंसी सर्जरी और ट्रेनिंग
सरेंडर करने वाले माओवादी एम वेंकटराजू उर्फ CNN चंदू के अनुसार, डॉ. रफीक ने घने जंगल में टॉर्च की रोशनी में घायल माओवादी का इलाज किया, पैरामेडिक्स को प्रशिक्षित किया और सीमित संसाधनों में इमरजेंसी सर्जरी की। उन्होंने गोली के घाव, मलेरिया, सांप के काटने, गैस्ट्रोएंटेराइटिस और युद्ध के मैदान के आघात का इलाज करने के लिए मैनुअल भी तैयार किया।
हर्बल दवाओं का दस्तावेजीकरण
रफीक ने स्थानीय आदिवासियों द्वारा उपयोग की जाने वाली हर्बल दवाओं और उनके उपचार पद्धतियों को दस्तावेजीकृत कर माओवादी मेडिकल मैनुअल में शामिल किया। उनके बनाए मैनुअल में आधुनिक दवाओं और पारंपरिक प्रार्थना पद्धतियों का समन्वय किया गया था, जिससे स्थानीय लोगों का विश्वास और स्वास्थ्य सेवा दोनों मजबूत हुई।
सुरक्षा एजेंसियों के लिए रहस्य बने
सुरक्षा एजेंसियों के लिए डॉ. रफीक 2013 से ही एक रहस्यमयी शख्सियत थे। वह 2016 में दंडकारण्य से झारखंड चले गए और वर्तमान में भी फरार हैं। उनके माध्यम से जंगल में एक पैरेलल हेल्थ नेटवर्क स्थापित हुआ, जो युद्ध, आपदा और सीमित संसाधनों में भी काम कर सकता था।
डॉ. रफीक की यह कहानी न केवल माओवादी संघर्ष के परिप्रेक्ष्य में अद्वितीय है, बल्कि यह दिखाती है कि किस तरह एक डॉक्टर ने कठिन परिस्थितियों में मानवता और चिकित्सा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।