Monday, December 29

100वें साल से नए रूप में नजर आएगा RSS, BJP से रिश्तों में भी हो सकता है बदलाव

 

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपनी स्थापना के 100वें वर्ष में बड़े संगठनात्मक बदलाव की तैयारी कर रहा है। इस परिवर्तन में संघ का जमीनी स्तर से जुड़ाव और मजबूत होगा, साथ ही राजनीतिक संगठन बीजेपी के साथ तालमेल के तरीके में भी बदलाव देखने को मिल सकता है।

 

संगठन का नया ढांचा

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने पिछले वर्षों में संगठन को लोगों से जोड़ने पर जोर दिया है। इसी दिशा में संघ अपने कार्यकर्ताओं को अधिक स्वतंत्रता देने और निर्णय लेने की प्रक्रिया को लचीला बनाने की योजना पर काम कर रहा है। इसका उद्देश्य संगठन को प्रत्येक गांव और मोहल्ले तक और प्रभावी रूप से पहुंचाना है।

 

प्रांत और क्षेत्र व्यवस्था में बदलाव

वर्तमान में संघ 46 प्रांतों के माध्यम से काम करता है। नए ढांचे में यह संख्या बढ़ाकर 90 संभाग करने की योजना है। इसके अलावा 11 क्षेत्र प्रचारकों की संख्या घटाकर 9 करने पर विचार किया जा रहा है। प्रदेश प्रचारक प्रणाली को लागू कर प्रांत स्तर की बजाय शासकीय संभागों के अनुरूप संगठनात्मक समन्वय किया जाएगा। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को एक क्षेत्र में और राजस्थान को उत्तरी क्षेत्र से जोड़ा जा सकता है। जिला और विभाग स्तर की व्यवस्था में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा।

 

सामाजिक बदलाव पर फोकस

मोहन भागवत लगातार कहते रहे हैं कि संघ के प्रचारकों का ध्यान सत्ता या राजनीति में उलझने पर नहीं बल्कि सामाजिक बदलाव पर होना चाहिए। संघ अपने प्रचारकों से अपेक्षा करता है कि वे सामाजिक कार्य, पर्यावरण सुरक्षा, पारिवारिक मूल्यों और सामुदायिक कल्याण पर ध्यान दें। प्रचारकों को अधिक भाषाओं में दक्ष बनाने पर भी जोर दिया जाएगा। संगठन के 6 मूल विभागों — प्रचार, बौद्धिक, शारीरिक, व्यवस्था, संपर्क और सेवा — में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा, लेकिन इंद्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्रों का विस्तार और आधुनिक उपकरणों के साथ सशक्तिकरण किया जाएगा।

 

BJP के साथ तालमेल में बदलाव

संघ आने वाले बदलावों के तहत बीजेपी के साथ समन्वय के तरीके में भी बदलाव करेगा। अब केवल शीर्ष नेतृत्व पर ही नहीं, बल्कि जमीनी और मध्य स्तर पर भी बातचीत और तालमेल की व्यवस्था होगी। यह बदलाव दोनों संगठनों को देश की राजनीति में लंबी अवधि के लिए तैयार रखने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

 

कुल मिलाकर, RSS का 100वां वर्ष संगठनात्मक और रणनीतिक रूप से नए आयामों के साथ नजर आने वाला है, जिससे उसका जमीनी प्रभाव और बीजेपी के साथ तालमेल दोनों और मजबूत होंगे।

 

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