Tuesday, December 23

उत्तराखंड में वन भूमि पर अतिक्रमण: सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और अधिकारियों को करारा चेतावनी दी

 

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नई दिल्ली: उत्तराखंड में वन भूमि पर हो रहे अतिक्रमण के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और अधिकारियों की कड़ी आलोचना की है। न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार और उसके अधिकारी इस गंभीर मामले में मूकदर्शक की तरह बने हुए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड के मुख्य सचिव को एक तथ्य जांच समिति गठित करने और उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

 

सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन पीठ, जिसमें चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची शामिल थे, ने कहा, “हमारे लिए सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उत्तराखंड सरकार और अधिकारी अपनी आंखों के सामने वन भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को मूकदर्शक की तरह देख रहे हैं।”

 

अदालत ने स्पष्ट किया कि निजी पक्ष किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य या तीसरे पक्ष की हिस्सेदारी से रोकेंगे, और आवासीय मकानों को छोड़कर खाली पड़ी जमीनों पर वन विभाग का कब्जा सुनिश्चित किया जाएगा। अगली सुनवाई छुट्टियों के बाद निर्धारित की गई है। यह याचिका अनीता कांडवाल द्वारा दायर की गई थी।

 

 

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) के संरक्षण के लिए सख्त निर्देश

 

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान और गुजरात में विलुप्त होने के कगार पर खड़े ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और लेसर फ्लोरिकन पक्षियों के संरक्षण के लिए भी अहम निर्देश जारी किए हैं। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर की पीठ ने कहा कि राजस्थान में 14,753 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बड़े सोलर पार्क, पवन ऊर्जा परियोजनाओं और हाईटेंशन ओवरहेड बिजली लाइनों पर रोक लगाई जाएगी, ताकि गोडावण का प्राकृतिक आवास सुरक्षित रह सके।

 

 

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