
नई दिल्ली: दिल्ली के नजफगढ़ के हसनपुर गांव के किसान पवन कुमार ने 2016 में मात्र 22×25 फीट के कमरे से मशरूम की खेती शुरू की थी। आज उनका ‘हाई-टेक मशरूम फार्म’ रोजाना औसतन 170 किलो बटन मशरूम का उत्पादन करता है और हर महीने लगभग ₹7 लाख का राजस्व देता है।
पवन कुमार की यह कहानी उन किसानों और नए उद्यमियों के लिए प्रेरणा बन गई है जो कृषि में कुछ नया और लाभदायक करना चाहते हैं। उनके प्रयासों से अब तक देश भर में 40 से अधिक मशरूम यूनिट्स स्थापित की जा चुकी हैं।
छोटे कमरे से शुरुआत:
पवन ने कृषि विज्ञान केंद्र से मशरूम उगाने का प्रशिक्षण लिया और मात्र ₹5 लाख के निवेश के साथ छोटे कमरे में व्यवसाय शुरू किया। रैक लगाए और तापमान नियंत्रित करने के लिए एसी का इस्तेमाल किया। खाद बनाने की अनुमति नहीं मिलने पर उन्होंने बाहरी स्रोत से गुणवत्तापूर्ण खाद मंगवाई और उत्पादन शुरू किया।
गलतियों से सीखकर बढ़ाया कदम:
शुरुआत में किसी गाइड या प्लेबुक की कमी थी। पहली बार में 900 किलो उत्पादन हुआ। धीरे-धीरे अनुभव के आधार पर 2017 तक फार्म को तीन कमरों तक बढ़ाया और अब यह 3,150 वर्ग फीट में फैला है, जिसमें 5 बड़े कमरे हैं। पवन ने उत्पादन इस तरह सेट किया कि बाजार में मशरूम की नियमित सप्लाई बनी रहे।
बंपर कमाई और मुनाफा:
हाई-टेक मशरूम फार्म सालाना लगभग ₹90 लाख का राजस्व पैदा कर रहा है। शादी के सीजन (नवंबर-दिसंबर) में बटन मशरूम ₹400 प्रति किलो तक बिकते हैं, जबकि सामान्य दिनों में कीमत ₹140-250 प्रति किलो रहती है। पोर्टोबेलो और ऑयस्टर मशरूम की खेती ने भी कमाई को बढ़ाया है। परिवार के सदस्य अब मार्केटिंग और लेबर मैनेजमेंट में पवन का साथ देते हैं।
ट्रेनिंग से दूसरों की कमाई में मदद:
पवन कुमार अब पीएचडी छात्र और नए उद्यमियों को मात्र ₹10,000 की फीस में मशरूम उगाने की ट्रेनिंग देते हैं। उनके मार्गदर्शन में भारत भर में लगभग 40 मशरूम यूनिट्स खुल चुकी हैं।
निष्कर्ष:
पवन कुमार का यह सफर साबित करता है कि सही तकनीक और जानकारी के साथ खेती आज के दौर में सबसे मुनाफे वाला बिजनेस बन सकता है। छोटे निवेश से भी बड़े परिणाम हासिल किए जा सकते हैं और सही मार्गदर्शन से नई पीढ़ी के किसान सफल हो सकते हैं।