
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत पर एक बार फिर गंभीर आरोप मढ़े। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब भारत ने पाकिस्तान को आतंकवाद और सीमा पार गतिविधियों को लेकर कड़ी फटकार लगाई थी।
पाकिस्तान मिशन में काउंसलर और पॉलिटिकल कोऑर्डिनेटर गुल कैसर सरवानी ने UNSC की “लीडरशिप फॉर पीस” विषय पर आयोजित ओपन डिबेट के दौरान कहा, “कश्मीर न कभी भारत का हिस्सा था और न कभी होगा। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादित क्षेत्र है और इसे केवल पाकिस्तान का कहना ही नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र का भी रुख मानता है।”
सरवानी ने दावा किया कि भारत ने 1947 में इस क्षेत्र को सुरक्षा परिषद में लाया था और जम्मू-कश्मीर के लोगों को संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में जनमत संग्रह के जरिए अपने भविष्य का निर्धारण करने की जिम्मेदारी दी थी। उन्होंने कहा कि “लगभग आठ दशक बाद भी वह वादा अधूरा है।”
भारत पर लगाए गए आरोप
पाकिस्तानी दूत ने आरोप लगाया कि भारत भारी सैन्य मौजूदगी बनाए हुए है, मौलिक स्वतंत्रता को दबाता है और इलाके की भौगोलिक बनावट बदलने के प्रयास कर रहा है। सरवानी ने कहा कि “भारत के आतंकवाद विरोध के दावे झूठे हैं। असली स्थिति यह है कि भारत सीमाओं के पार आतंकवाद को बढ़ावा देता है और कब्जे वाले कश्मीर में सरकारी आतंकवाद फैलाता है।”
उन्होंने भारत पर यह भी आरोप लगाया कि वह अपने अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को सरकारी संरक्षण देता है और दुनिया भर में हिंसा के अभियान को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, सरवानी ने भारत पर पाकिस्तानी विरोधी आतंकवादी समूहों को समर्थन देने का भी आरोप लगाया, जिसमें TTP, Fithna Alkhwariz, BLA और Fithna Hindustan शामिल हैं।
सिंधु जल संधि का मुद्दा भी उठाया
पाकिस्तानी दूत ने सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) पर भारत के रुख की आलोचना करते हुए कहा कि “संधि में एकतरफा निलंबन या संशोधन का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसा करना पानी को राजनीतिक हथियार बनाने के समान है।” उन्होंने 2025 के कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन के फैसले का हवाला देते हुए संधि की वैधता और विवाद निपटान तंत्र की पुष्टि की।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने पहले ही UNSC में पाकिस्तान की इन हरकतों को खारिज किया है और आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के दोगले रवैये को उजागर किया है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान के आरोप बेमानी हैं।