Friday, November 7

भोपाल: संसदीय समिति ने मध्य प्रदेश में एससी-एसटी अफसरों की गिनती पर उठाए सवाल, डीजीपी चुप रहे

भोपाल: गुरुवार को अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लिए गठित केंद्रीय संसदीय समिति की बैठक भोपाल में आयोजित हुई। इस दौरान समिति के सदस्यों ने शासन के वरिष्ठ अधिकारियों से एससी-एसटी वर्ग के अफसरों की संख्या, उनके पद और नियुक्तियों को लेकर कई सवाल किए। लेकिन मध्य प्रदेश के डीजीपी इन सवालों के संतोषजनक जवाब देने में असफल रहे।

🔹 डीजीपी के जवाब पर चुप्पी

संसदीय समिति ने डीजीपी से पूछा कि मध्य प्रदेश में कितने एससी-एसटी अधिकारी हैं। इस पर डीजीपी ने कोई आंकड़ा नहीं बता पाए और स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। इस पर समिति के सदस्य असंतुष्ट रहे।

🔹 कलेक्टर और एसपी की संख्या

मीटिंग में यह भी सवाल उठाया गया कि कलेक्टर और एसपी में आरक्षित वर्ग से कितने पदाधिकारी हैं और कितनी महिलाएं हैं। इस पर एसीएस अशोक वर्णवाल ने बताया कि राज्य में 11 कलेक्टर एससी वर्ग से और 6 एसटी वर्ग से हैं। इसके अलावा दो-तीन कमिश्नर भी आरक्षित वर्ग से हैं।

🔹 सांसद चंद्रशेखर रावण भड़के

संसदीय सदस्य और सांसद चंद्रशेखर रावण ने डीजीपी और अन्य अधिकारियों से सीधी नियुक्ति और प्रोमोशन के आधार पर एससी-एसटी अफसरों की स्थिति पूछी। एसीएस ने जवाब दिया कि पोस्टिंग के समय वर्ग या भेदभाव पर ध्यान नहीं दिया जाता। इस जवाब पर सांसद रावण नाराज हो गए और कहा, “आप डिप्लोमेटिक बातें कर रहे हैं।”

🔹 अन्य सवाल और शिकायतें

संसदीय समिति ने पेशाब कांड, थूक चटवाने जैसी घटनाओं में कार्रवाई क्यों नहीं होती, और आउटसोर्स नियुक्तियों में एससी-एसटी आरक्षण क्यों नहीं मिलता, ऐसे सवाल भी उठाए। अधिकारियों ने बताया कि आउटसोर्स नियुक्तियों में आरक्षण का प्रावधान नहीं है।

🔹 संपूर्ण बैठक और उद्देश्य

यह समिति सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते की अध्यक्षता में विभिन्न प्रदेशों से आई थी। उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव से भी मुलाकात की और इसके बाद दो घंटे तक अधिकारियों के साथ बैठक की। इस दौरान एससी-एसटी वर्ग के अधिकार, नियुक्ति और आरक्षण से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की गई।

संक्षेप में: मध्य प्रदेश में एससी-एसटी अफसरों की संख्या और नियुक्ति को लेकर संसदीय समिति ने सवाल उठाए। डीजीपी संतोषजनक जवाब नहीं दे सके, जिससे समिति के सदस्यों में असंतोष देखा गया।

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