Thursday, December 4

27 फरवरी से बदल जाएगा जीडीपी का बेस ईयर, वित्त मंत्री ने बताया क्या होगा फायदा

नई दिल्ली: सरकार अब राष्ट्रीय अकाउंट्स के लिए बेस ईयर बदलने जा रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को संसद में बताया कि 27 फरवरी से जीडीपी के नए आंकड़े 2022-23 की कीमतों पर आधारित होंगे। फिलहाल देश में 2011-12 का बेस ईयर इस्तेमाल हो रहा है, जो अब एक दशक से भी अधिक पुराना हो चुका है।

बेस ईयर बदलने का मकसद

  • पुराने डेटा में आज की अर्थव्यवस्था के अनुसार सटीकता कम थी।
  • नया बेस ईयर मौजूदा आर्थिक गतिविधियों को बेहतर और वास्तविक रूप में दर्शाएगा।
  • आईएमएफ की हालिया रिपोर्ट में भारत के नैशनल अकाउंट्स को C ग्रेड मिलने के बाद यह कदम उठाया गया। वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि ग्रेड डेटा की गुणवत्ता पर नहीं, बल्कि पुराने बेस ईयर पर आधारित था।

क्या होगा फायदा?

  1. सटीक GDP आंकड़े: नया बेस ईयर देश की वर्तमान आर्थिक संरचना को सही रूप में दिखाएगा।
  2. बेहतर नीति निर्माण: बजट और आर्थिक नीतियां अब वास्तविक आर्थिक परिस्थितियों पर आधारित होंगी।
  3. महंगाई डेटा में सुधार: सांख्यिकी मंत्रालय जनवरी की महंगाई को अब 2023-24 की कीमतों पर मापेगा।
  4. पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS) में सुधार: अब अनाज पर सरकारी खर्च का सही आंकलन डेटा में दिखेगा।
  5. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) अपडेट: वस्तुओं के वजन, कंजम्पशन बास्केट और गणना के तरीकों में सुधार होगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह बदलाव अर्थव्यवस्था को सही रूप में दर्शाने के साथ-साथ नीति निर्धारण और निवेशकों के लिए भी सहायक साबित होगा।

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