
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने UMEED पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों का विवरण अपलोड करने की समय-सीमा बढ़ाने की मांग को खारिज कर दिया है। पीठ ने स्पष्ट किया कि यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट ऐक्ट (धारा 3B) के तहत समय बढ़ाने का अधिकार केवल वक्फ ट्रिब्यूनलों को है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ में जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह ने आवेदकों को समय-सीमा से पहले संबंधित ट्रिब्यूनलों से संपर्क करने की अनुमति दी।
आवेदकों की दलील:
सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि संशोधन 8 अप्रैल को लागू हुआ और पोर्टल 6 जून को तैयार किया गया। नियम 3 जुलाई को बनाए गए और 15 सितंबर को अंतरिम आदेश आया। इसलिए छह महीने की समय-सीमा काफी कम है। कई वक्फ 100-125 साल पुराने हैं और उनके दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं हैं, जिससे पोर्टल पर अपलोड करना कठिन हो गया।
सीनियर वकील डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पोर्टल में तकनीकी खामियां हैं, लेकिन वे पंजीकरण आवश्यकताओं का पालन करने को तैयार हैं। उनका दावा है कि केवल समय बढ़ाने की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश:
अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में वक्फ ट्रिब्यूनल से संपर्क किया जा सकता है। पीठ ने स्पष्ट किया कि मुद्दा पंजीकरण का नहीं बल्कि पंजीकृत वक्फ संपत्तियों के डिजिटाइजेशन का है। केवल वही वक्फ, जिनका पहले से पंजीकरण हुआ है, विवरण अपलोड कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण बातें:
- वक्फ संशोधन ऐक्ट 2025 के कई प्रावधान विवादित रहे और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
- अदालत ने 15 सितंबर को ‘5 साल तक इस्लाम प्रैक्टिस करना अनिवार्य’ समेत कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई।
- 5 दिसंबर तक UMEED पोर्टल पर अनिवार्य रजिस्ट्रेशन की राहत नहीं दी गई।
- समय सीमा बढ़ाने का अधिकार केवल वक्फ ट्रिब्यूनल के पास है।
- आवेदक अब ट्रिब्यूनल से संपर्क कर धारा 3B(1) के तहत समाधान पा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय वक्फ संपत्तियों के डिजिटाइजेशन और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में ट्रिब्यूनलों की अहम भूमिका को स्पष्ट करता है।