
मुंबई। भारत की बहुप्रतीक्षित मुंबई–अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना को मुंबई में बड़ा झटका लगा है। बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) में निर्माण कार्य के दौरान वायु प्रदूषण नियंत्रण नियमों के उल्लंघन के चलते मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने कार्य रोकने का नोटिस जारी किया है। इसके बाद बुलेट ट्रेन परियोजना का काम तत्काल प्रभाव से ठप हो गया है।
यह कार्रवाई बॉम्बे हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी और प्रदूषण को लेकर उसकी निगरानी के बाद की गई है। कोर्ट ने प्रदूषण से जुड़े मामलों में चार सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल की जमीनी रिपोर्ट पर गंभीरता से संज्ञान लिया है।
धूल नियंत्रण में भारी लापरवाही
बीकेसी क्षेत्र में चल रहे निर्माण कार्य से अत्यधिक धूल और प्रदूषण फैलने की शिकायतें लगातार मिल रही थीं। जांच के दौरान यह सामने आया कि निर्माण स्थल पर पानी का छिड़काव, फॉगिंग, स्मॉग गन जैसे आवश्यक धूल नियंत्रण उपाय या तो किए ही नहीं जा रहे थे या केवल औपचारिकता निभाई जा रही थी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पर्यावरणीय मानकों का बार-बार उल्लंघन हुआ है, जिससे आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित हुई।
BMC की चेतावनी—सुधार के बिना काम नहीं
नगर निगम ने संबंधित निर्माण एजेंसी को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जब तक सभी पर्यावरणीय और प्रदूषण नियंत्रण मानकों का पूर्ण पालन नहीं किया जाता, तब तक निर्माण कार्य दोबारा शुरू नहीं होगा। साथ ही यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि भविष्य में नियमों की अनदेखी की गई, तो और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
हाई कोर्ट ने अधिकारियों को किया तलब
बॉम्बे हाई कोर्ट ने नगर आयुक्त भूषण गगरानी और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) के सदस्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जवाब देने का निर्देश दिया है। मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड़ की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह अधिकारियों की निष्क्रियता का मामला प्रतीत होता है।
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि जहां-जहां प्रदूषण नियंत्रण दिशानिर्देशों का पालन नहीं हो रहा है, वहां तुरंत काम रोकने के नोटिस जारी किए जाएं।
अन्य परियोजनाओं में भी नियमों की अनदेखी
पैनल की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि दक्षिण मुंबई के फोर्ट, कफ परेड और कोलाबा क्षेत्रों में कई निर्माण और पुनर्विकास परियोजनाओं में बुनियादी प्रदूषण नियंत्रण उपायों का गंभीर अभाव है। बुलेट ट्रेन के साथ-साथ मेट्रो जैसी बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं में भी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा।
प्रदूषण पर अदालत की सख्ती
मुंबई में हाल के दिनों में बढ़ते वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) को देखते हुए हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका की सुनवाई शुरू की है। अदालत ने साफ कर दिया है कि विकास कार्यों की आड़ में पर्यावरण से कोई समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।