
नई दिल्ली।
हर साल 18 दिसंबर को भारत में ‘अल्पसंख्यक अधिकार दिवस’ मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना, उनके हितों की रक्षा करना और उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास करना है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र के 1992 के घोषणापत्र और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) से जुड़ा है।
इस मौके पर यह याद दिलाना जरूरी है कि संविधान अल्पसंख्यकों को उनके पूर्ण अधिकार और सुरक्षा सुनिश्चित करता है। आइए जानते हैं संविधान द्वारा अल्पसंख्यकों को दिए गए पांच प्रमुख अधिकार:
1. धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25-28)
संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है। यह अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद का धर्म मानने, उसका पालन करने और उसका प्रचार करने की अनुमति देता है। यह स्वतंत्रता सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के नियमों के तहत है। इस अधिकार के कारण भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित होता है।
2. समानता और गैर-भेदभाव का अधिकार (अनुच्छेद 14, 15)
अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता और कानूनों के समान संरक्षण की गारंटी देता है। अनुच्छेद 15 धर्म, जाति, नस्ल, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है और कमजोर वर्गों के लिए विशेष प्रावधान बनाने की अनुमति देता है।
3. रोजगार और शिक्षा में समान अवसर (अनुच्छेद 16)
सार्वजनिक रोजगार और शिक्षा के मामलों में सभी नागरिकों के लिए समान अवसर सुनिश्चित किए गए हैं। अनुच्छेद 16 अल्पसंख्यकों को सरकारी नौकरी और शिक्षा में किसी भी तरह के भेदभाव से बचाता है।
4. संस्कृति और भाषा का संरक्षण (अनुच्छेद 29)
अल्पसंख्यकों को अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि और संस्कृति को बनाए रखने का अधिकार है। यह उनकी पहचान और सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
5. शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रबंधन (अनुच्छेद 30)
धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति और पहचान सुरक्षित रखने के लिए शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रबंधन करने का अधिकार है। यह अधिकार उन्हें बराबरी का दर्जा देने के लिए है, न कि किसी विशेष लाभ के लिए।
इस दिन पर देशभर में अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों और उनके संरक्षण के महत्व को उजागर किया जाता है। संविधान के ये अधिकार सुनिश्चित करते हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय समानता, सुरक्षा और सम्मान के साथ समाज में आगे बढ़ सके।